सीकर

नहीं थमा अरावली में खनन और दोहन तो और बढ़ेगा भूकंप का खतरा

शील्ड जोन में है राजस्थान

सीकरMar 23, 2023 / 11:19 pm

Ajay

भूकम्प के झटके महसूस होने के दौरान एक रेजीडेंसी के सामने जमा लोग

प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा देने वाली शील्ड अरावली पर्वतमाला का खनन और वन क्षेत्रों का दोहन नहीं थमा तो सीकर जिले में भूकंप का खतरा बढ़ सकता है। अच्छी बात रही कि मंगलवार देर रात सीकर जिले में आए भूकंप का ज्यादा असर नहीं हुआ और किसी प्रकार के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। भूगोल विदों की मानें तो प्रदेश में सीकर सहित एक दर्जन से ज्यादा जिलों से निकलने वाली धरती के नीचे इंडाे आस्ट्रियन प्लेटस् में लगातार घर्षण के कारण अरावली पर्वतमाला में भूकंप का खतरा लगातार मंडरा रहा है। सीकर जिले में होकर अरावली पर्वतमाला गुजरती है। इस दौरान धरती की आंतरिक सतह में दाब,ताप और गैस के कारण हुई हलचल से भूमिगत टेक्टोनिक प्लेट में हलचल होने लगती है। इस कारण भूकंप आते हैं। भूगर्भ में चट्टाने की प्लेटनुमा कई परतें तैरती रहती है और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस हलचल के बाद भूकंप आता है। भूगोलविद्दों की माने तो राजस्थान भूकंप की उच्च आवृत्ति के कारण जोन दो, तीन और चार के तहत आता है। जोन तीन में सीकर, झुंझुनू़ं , जयपुर, दौसा, उदयपुर, डूंगरपुर, सिरोही, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और भरतपुर के कुछ भाग आते हैं। जबकि जोन चार में बाड़मेर, जालौर, अलवर और भरतपुर के कुछ भाग आते हैं।


नए साल में पहला भूकंप
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र के अनुसार नववर्ष की पहली तिमाही में पहली बार सीकर जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। सीकर जिले में करीब 50 किलोमीटर तक असर रहा। इससे पूर्व सीकर जिले में पांच अगस्त 2021 को सीकर जिले के रींगस इलाके में रात 8 बजकर 14 मिनट पर 3.6 रिक्टर स्केल वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इससे पहले 21 जुलाई को राजस्थान के बीकानेर में सुबह पांच बजकर 24 मिनट पर 5.3 रिक्टर स्केल का भूकंप आया था। अगले दिन 22 जुलाई को सुबह 7.42 मिनट पर 4.8 रिक्टर स्केल के भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए।

एक्सपर्ट व्यू: शेखावाटी में भूकंप की यह वजह
भूगोल के व्याख्यता मुकेश निठारवाल ने बताया कि शेखावाटी में बार बार भूकंप आने का कारण यहां के डार्क जोन का बनना है यहां पानी का कम होना है व भूमि के नीचे चट्टानों का चलायमान होना। धरती के अंदर कुल सात प्लेट्स हैं और ये प्लेट्स चलायमान रहती हैं। जहां प्लेट आपस में टकराती हैं उन्हें फाल्ट जोन कहते हैं। जब प्लेट टकराती हैं तो ऊर्जा बाहर निकलने की कोशिश करती है। इससे जो हलचल होती है वही भूकंप बन जाता है। प्लेट में प्रेशर ज्यादा होने से वह खिसक जाती हैं। इसकी वजह से जमीन में कंपन या झटके महसूस होते हैं। प्रेशर की कई वजह होती है। जमीन में मौजूद गैस को बाहर निकालने से चट्टानों के बीच खली जगह भी इस प्रेशर की एक वजह है। अच्छी बात है कि शेखावाटी में अब तक आए भूकंप की तीव्रता ज्यादा नहीं रही है जिससे जान माल का खतरा कम रहता है। पृथ्वी की सतह पर अचानक तेज हलचल होने के कारण पृथ्वी की आंतरिक ऊर्जा बहार निकलती है जिससे भूकंपीय तरंगों का निर्माण होता है। भूकंपीय तरंगों के निर्माण के कारण पृथ्वी की अवस्था में परिवर्तन होने लगता है और इस परिवर्तन को भूकंप कहा जाता है जो छोटे या विशाल दोनों रूपों में हो सकता है।

शील्ड जोन में है राजस्थान
डिजास्टर मैपिंग के अनुसार राजस्थान भूकंप की प्राथमिक जोन में नहीं है। जोन टू और थ्री में रिक्टर स्केल पर कम क्षमता वाले भूकंप आते हैं। यहां विनाशकारी भूकंप आने की कम आशंका रहती है। राजस्थान शील्ड जोन में आता है। भूमि में कई क्रेक जोन होते हैं जहां से भूगर्भीय ऊर्जा भूकंप के रूप में बाहर निकलती है। कम क्षमता वाले भूकंप राजस्थान में दो से तीन साल के बीच अक्सर आते रहते हैं।

दूसरी और तीसरी पेटी में राजस्थान
राजकीय आर्टस कॉलेज सीकर में भूगोल विभाग के डॉ. जितेन्द्र डी सोनी के अनुसार मैपिंग के अनुसार राजस्थान जोन दो और तीन की श्रेणी में आता है। सीकर जिले में मंगलवार को आया भूकंप अप्रत्याशित नहीं है। इस प्रकार के भूकंप आते रहते हैं। भूकंप एक प्राकृतिक त्रासदी है। भू सतह के नीचे संग्रहित ऊर्जा का संग्रहण कमजोर क्षेत्र से बाहर निकलती है। ऊर्जा के बाहर निकलने से भूमि में कंपन होता है। भारत के भूकंपीय मानचित्र पर राजस्थान दूसरी और तीसरी पेटी के तहत आता है। जिस कारण यहां तीव्र भूकंप नही आता है। सामान्यत यहां चार रिक्टर स्केल से नीचे के भूकंप आते हैं। ये भूकंप भी उसी श्रेणी का था। गनीमत रही कि किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।

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