सूदखोरी से तंग, लेकिन पुलिस को बताने की हिम्मत नहीं। आखिर में जनवरी 2017 को मजबूरन मौत को गले लगा लिया। जीते जी तो पुलिस को को कुछ नहीं बता सके, लेकिन मरते समय एक कागज का टुकड़ा छोड़ गए। इस कागज के टुकड़ ने समाज के साथ पुलिस के सामने एक कड़वा सच सामने लाया और वह था सूदखोरों का। इस मामले में बेटे मनीष के कर्ज तले दबे बोझ में उसके माता-पिता रमेश स्वामी व संतोष देवी ने जहर खाने के बाद अलग-अलग कमरों में जाकर फांसी लगा कर जान दे दी थी। पुलिस को घटना स्थल पर जहर की गोलियां और एक सुसाइड नोट भी मिला था। शुरुआती जांच में सामने आया था कि बेटे का कर्ज चुकाने के लिए पहले तो दंपती ने अपनी जमीन जायदाद इसके बाद गहने तक बेच दिए थे। लेकिन, फिर भी सूदखोरों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा तो परेशान होकर वे अपनी जान पर खेल गए थे।
चेक बाउंस का मामला दर्ज करवाया
पत्रिका टीम 18 महीने पुराने मामले की हकीकत जानने मलकेड़ा गांव पहुंची तो स्थिति चौंकाने वाली सामने आई। दंपती के इकलौते बेटे मनीष का कहना था कि माता-पिता की मौत के बाद मलकेड़ा में किराए की जगह उसने छोड़ दी है और मजदूरी कर अपना पेट पाल रहा है। मायूसी के साथ मनीष बताता है कि उसका पीछा अभी भी सूदखोरो ने नहीं छोड़ा है। हादसे के बाद भी सूदखोर उसको धमका रहे हैं और उनके खिलाफ दर्ज कराया गया मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। मनीष ने बताया कि माता-पिता की मौत के बाद सूदखोरों के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद आरोपियों ने भी उसके विरोध में चेक बाउंस का मुकदमा दर्ज करा दिया था। अब वे लोग मिलकर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि पहले तो मुकदमा वापस ले। इसके बाद वे भी उस पर दर्ज कराया मुकदमा रफा-दफा करा देंगे।