जिले में पांच लाख लीटर दूध उत्पादन जिले में पहले प्रतिदिन लगभग करीब पांच लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। पशुपालन व्यवसाय से करीब एक लाख लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। पशुपालकों ने बताया कि हरा चारा से मवेशियों में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ती है। पशुपालन विभाग के अनुसार जिले में गाय व भैंसों की संख्या करीब नौ लाख से ज्यादा है। औसत आहार की बात करें तो एक मवेशी 10 किलो तक चारा खाता है। ऐसे में रोजाना 90 हजार क्विंटल से ज्यादा चारे की जरूरत है। इसके अलावा चारागाहों में पर्याप्त मात्रा में हरी घास होने से गोशालाओं की गायों को काफी हद तक निजात मिल जाएगी।
बारिश से मिली राहत पशुपालन और चारा व्यवसाय से जुड़े लोगों के अनुसार पिछले साल पशु चारे के बढ़ते दामों ने पशुपालकों की कमर तोड़ दी थी। हाल यह हो गया था कि पशुओं का चारे का भाव आसमान छू जाने के कारण पशुपालकों का पशु पालन करना मुश्किल हो गया था इसके अलावा पिछले खरीफ सीजन में पशुचारा कम हुआ था। इससे स्थानीय पशुचारे के भाव भी एक हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। वहीं हरियाणा व पंजाब से आ रही तूड़ी की खरीद औसत भाव 1500 से 1700 रुपए प्रति क्विंटल हुई थी, लेकिन अब राजस्थान में बारिश होने के बाद यह चारा अब औसत नौ सौ रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है।
किसानों को फायदा… प्रदेश में पिछले दो माह से समय-समय पर बारिश के कारण चारे के भावों में गिरावट आई है। वहीं हरियाणा व पंजाब की तूडी की नाममात्र की आपूर्ति हो रही है। सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में पशुचारे के भावों में गिरावट आएगी। इससे अंचल के किसान व पशुपालकों को फायदा होगा।
शिशुपाल सिंह खरबास, प्रगतिशील किसान व पशुपालक