विपक्ष का धर्म बनता है जनता के लिए संघर्ष करना। प्याज, पशुओं की खरीद, कर्जा माफी, पेंशन, बेरोजगारी और भूमि अधिग्रहण सहित अन्य मुद्दों को लेकर कांग्रेस ने सड़क से सदन तक जमकर संघर्ष किया है। माकपा की तो विधानसभा में उपस्थिति ही नहीं थी। भूमि अधिग्रहण बिल प्रवर समिति के पास होने के बाद भी पास नहीं करा सके। यह कांग्रेस की बड़ी राजनीतिक सफलता रही है।
जनता कांग्रेस को याद कर रही है। भाजपा ने जनता को ठगा है। ं मुख्यमंत्री महलों में बैठी रही, युवा लाठी खाते है। लोकतंत्र में जनता से भय खाना चाहिए।
आरोप-प्रत्यारोप जैसी कोई बात नहीं है। राजस्थान की जनता ने भारी बहुमत के साथ वसुंधरा राजे को मौका दिया था। इस इस दौरान उन्होंने जनता से जो वादे किए उन्हे पूरा करने में विफल रहीं। सरकार को जवाब देना चाहिए। बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, संविदा कर्मियों को नियमित करने, किसानों के बारे में सरकार ने कुछ नहीं सोचा। महिलाएं सुरक्षित नहीं है। कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। वह तो आचार संहिता लग गई वरना इनकी और दुर्गती होती। खान और एनआरएचएम घोटाले में क्या हुआ?
कांग्रेस में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कोई शीतयुद्ध नहीं है। विधायकों की राय से आला कमान जिसे तय करेगा वहीं हमारा सीएम होगा। यह भाजपा का उपजाया हुआ विवाद है। अशोक गहलोत, सचिन पायलट, सीपी जोशी और रामेश्वर डूडी सभी की एक राय है। यूपी में भाजपा ने कौनसा चेहरा घोषित किया था। मुद्दों के जरिए चुनाव लड़ा जाता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी जो तय करेगी वही हमारा सीएम होगा। जातियों का झगड़ा कराकर भाजपा को आग लगाना आता है कांग्रेस को तो आग बुझाना होता है।
कांग्रेस में वंशवाद की बेल लगातार पनपती जा रही है, दागियों को भी टिकट मिल जाते है। क्या कहेंगे?
कांग्रेस दागियों के पक्ष में नहीं है। इसके लिए केंद्र में अध्यादेश लाकर कानून बनाना होगा। मोदी सरकार ने कानून लाने का वादा भी किया था लेकिन हुआ कुछ नहीं। कांग्रेस तो शुरू से यही कहती है कि योग्यता के आधार पर ही टिकट मिलना चहिए।