जिले के स्वास्थ्य केन्द्रों पर करीब एक हजार छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी हर तरह की मशीन की बारकोडिंग की जा रही है। मशीन कब खरीदी गई, किस काम आती है, कौन-सी कंपनी की है, जैसी तमाम जानकारियां जुटाकर सॉफ्टवेयर में डाली जाएंगी। हर मशीन को आठ अंकों का बारकोड दिया जाएगा। कॉल सेंटर पर फोन कर सिर्फ यह कोड बताते ही मशीन की पूरी कुंडली खुल जाएगी।
सरकारी अस्पतालों में मशीन खराब होने के बाद कबाड़ में डाल दी जाती है। अब ऐसा नहीं होगा। जिससे न केवल मरीजों को लौटाना पड़ता है वहीं सरकार को मशीन की राशि का नुकसान झेलना पड़ता है। लेकिन नए सिस्टम के अनुसार सूचना देने के बाद इंजीनियर के नहीं आने पर अलग- अलग जुर्माना का प्रावधान है। गौरतलब है कि पहले यह जिम्मा केटीपीएल कंपनी को दिया गया था लेकिन अब यह काम सरकार के स्तर पर होगा। जबकि मरम्मत का काम निजी क्षेत्र में होगा।