लोग आग की लपटों के बीच झुलसे बच्चों को बाहर निकाल लाए। किसी को ऑटो से तो किसी को बाइक पर बैठाकर अस्पताल लाया गया। चिकित्साकर्मियों के साथ लोग भी घायलों के मरहम लगाने में जुट गए। किसी को कुछ पता नहीं था। हादसा कैसे हुआ। लोग बस इतना जानते थे कि गैस सिलेंडर लगा रहे थे। इसी दौरान घर से उठी लपटों ने मासूम बच्चों समेत 13 जनों को चपेट में ले लिया।
पहले भी हुए है इस तरह के हादसे
गैस सिलेंडर से आग का यह पहला मामला नहीं है। शहर के मोचीवाड़ा क्षेत्र में ही पिछले माह लगी दुकान में आग से वहां रखा छोटा गैस सिलेंडर फट गया था। इससे आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। इससे पहले भी जिले में कई अग्नि हादसे सिलेंडर से हो चुके हैं। जानकारों का मानना है कि गैस सिलेंडर के मामले में सावधानी बरती जानी चाहिए। इधर, घटना के बाद अस्पताल में भी लोगों की भीड़ लगी गई। भाजयुमो के पूर्व अध्यक्ष कमल सिखवाल सहित अन्य अस्पताल पहुंचे।
मासूम आंखों से दूर नहीं हो रहा मंजर
हादसे के घायल अधिकतर बच्चे हैं। पड़ौस के यह बच्चे शाम के समय मकबूल के घर के बाहर चौक में खेल रहे थे। घर में आग की लपटे देखकर ये बच्चे दौडकऱ अंदर गए और आग में घिर गए। दस वर्षीय शाहिल से जब घटना के बारे में पूछा गया तो वह कुछ नहीं बोल पाया। वह अपने झुलसे हाथों पर लगी मलहम को देखने लगा। यह ही स्थिति रिहान की थी। तनवीर बोला हम तो बाहर खेल रहे थे। आग लगी तो अंदर देखने गए थे। हादसे के बाद अस्पताल में लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। बच्चों की माताएं भी वहां दौड़ी चली आई।
कहीं भट्टी से तो नहीं पकड़ी आग
हादसे का कारण जांच के बाद स्पष्ट हो पाएगा। लेकिन आग के बाद भी गैस चूल्हे की पाइप और रेगूलेटर सुरक्षित था। ऐसे में यह तो तय है कि सिलेंडर की सील कैप खोलते ही गैस लिकेज हो गई। गैस चूल्हा मकान के बंद चौक में रखा था।
वहां पर साबुन का पेस्ट बनाने का काम भी किया जाता है। लोगों ने बताया कि इसके लिए वहां भट्टी जल रही थी। गैस ने भट्टी के कारण आग पकड़ ली। आग ने तत्काल भयंकर रूप धारण कर लिया। ऐसे में घर के सदस्य बाहर नहीं निकल पाए। घर के अंदर गए लोग भी आग की लपटों में घिर गए। आग की लपटे बकरियों के बाड़े तक पहुंच गई।