सबसे पहले पौधरोपण की मुहिम शुरू की, इसके जरिए उन्होंने शहर में जगह-जगह पौधे लगाए। इसके बाद शहर के अलग-अलग हिस्सों में वाटिका तैयार कर दी। सरकारी विद्यालयों, महाविद्यालयों, स्मृति वन व सार्वजनिक जगहों पर अब तक शहर में उनके संस्थान की ओर से दो लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके है। फिलहाल शहर में मनसुख रणवां संस्थान की ओर से कस्तूरबा बालगृह, बाल संप्रेषण गृह, जाट छात्रावास सीकर में पुस्तकालयों का निर्माण कराया और बाल संप्रेषण गृह में लावारिस छोड़े जाने वाले बच्चों के लिए पालनागृह भी तैयार कराया है। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता