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मकानों व दुकानों पर चला बुलडोजर, लोगों का छलका दर्द: हमारा अतिक्रमण नहीं, पट्टा है साहब…

नवलगढ़ रोड पुलिया के फोरलेन प्रोजेक्ट के बीच में आने वाले मकानों व दुकानों पर जिला प्रशासन ने बुधवार को बुलडोजर का पीला पंजा चला दिया। इस दौरान कई दुकान व मकान मालिकों ने कार्रवाई का विरोध भी किया।

सीकरNov 21, 2024 / 04:17 pm

Kamlesh Sharma

सीकर। नवलगढ़ रोड पुलिया के फोरलेन प्रोजेक्ट के बीच में आने वाले मकानों व दुकानों पर जिला प्रशासन ने बुधवार को बुलडोजर का पीला पंजा चला दिया। इस दौरान कई दुकान व मकान मालिकों ने कार्रवाई का विरोध भी किया। मकान मालिक गोरधनसिंह ढाका कहना था कि उनका निर्माण अतिक्रमण नहीं है। उनके पास नगर परिषद का पट्टा है। लिहाजा उसे हटाया नहीं जा सकता।
विरोध करते हुए उन्होंने मौके पर नगर परिषद आयुक्त को बुलाने की मांग भी की। इस पर पुलिसकर्मी उन्हें जबरन पकड़कर ले गई। जिनके पीछे भागती पत्नी भी कहती रही कि पट्टाशुदा मकान से बेघर कर उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। बाद में दोनों दंपति सहित प्रभावित करीब 30 लोगों ने कलेक्ट्रेट के सामने धरना दिया। उधर, प्रशासन की कार्रवाई लगातार जारी रही। इस दौरान कई पक्के निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया।

1960 से कर रहे निवास

प्रदर्शनकारी गौतम सिंह ने कहा कि जिन्हें अतिक्रमी कहा जा रहा है, वे नगर परिषद के पट्टे सहित मकान बनाकर रह रहे हैं। कई परिवार तो 1960 से निवास कर रहे हैं। ऐसे में उनका मकान अतिक्रमण कैसे हुआ? विमला ढाका ने कहा कि जब परिवार शादी में गया हुआ था तब प्रशासन ने पीछे से सामान बाहर निकालकर मकान तोड़ दिया।
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नक्शे दिखाकर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

प्रशासन की कार्रवाई के दौरान गोरधन ढाका की अगुआई में प्रभावित लोग कॉलोनी का नक्शा लेकर कलक्ट्रेट पहुंच गए। जहां भी धरने पर बैठकर उन्होंने अपने मकान व दुकानों को अतिक्रमण बताए जाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जनहित में पुलिया के चौड़ाईकरण होना चाहिए, लेकिन पट्टा होने की वजह से उन्हें अतिक्रमी नहीं कहते हुए उनके पुर्नवास के साथ प्रशासन को मुआवजे की व्यवस्था करनी चाहिए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि सरकार ने मुआवजा राशि जारी भी कि है, लेकिन प्रशासन उसमें भ्रष्टाचार करना चाहता है। पुलिया निर्माण में भी उन्होंने पीडब्लूडी पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए।

विशेषज्ञ: परिषद ने पट्टा निरस्त क्यों नहीं किया

इस मामले में राजस्व विभाग व नगरीय विकास विभाग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नगर परिषद को पट्टा गलत जारी होने की जानकारी तहसील व सार्वजनिक निर्माण विभाग के नोटिस के बाद मिल गई थी तो पट्टे निरस्त क्यों नहीं किया। वहीं जिन लोगों ने गलत तथ्यों के आधार पर पट्टा जारी किया, उनके खिलाफ अब तक क्यों कार्रवाई नहीं की गई।

नगर परिषद का तर्क: तथ्यों में बदलाव से जारी हुआ था पट्टा

नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि मामले की पूरी जांच कराई जा रही है। प्रारभिक तौर पर सामने आया है कि राजस्व रेकॉर्ड में हेराफेरी कर इस जोन में कई पट्टे जारी होने की बात सामने आई है। मामले की खास बात यह है कि नगर परिषद के पट्टे के कार्यालय के आधार पर सब रजिस्ट्रार कार्यालय ने भी इलाके के कई भूखंड मालिकों से व्यवसायिक दरों से वसूली भी कर ली।

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