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सीकर के इस अस्पताल में कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी और गेस्ट्रो के चिकित्सक लेकिन जांच मशीन नहीं

सरकारी अस्पतालों में उपचार की आस में आने वाले मरीजों के लिए सुविधाएं बढाने के दावे किए जा रहे हैं। गेस्ट्रो, यूरो और कार्डियो, न्यूरो सहित कई विंग के चिकित्सकों की भर्ती की जा रही है लेकिन ये सुविधाएं केवल कागजों में चल रही है। इसकी बानगी है कि मेडिकल कॉलेज में गेस्ट्रोलॉजी, यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजी के चिकित्सक लगे हुए हैं लेकिन इन चिकित्सकों के पास जांच करने के लिए मशीनें तक नहीं है।
 

सीकरAug 23, 2023 / 11:29 am

Puran

सीकर के इस अस्पताल में कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी और गेस्ट्रो के चिकित्सक लेकिन जांच मशीन नहीं


सरकारी अस्पतालों में उपचार की आस में आने वाले मरीजों के लिए सुविधाएं बढाने के दावे किए जा रहे हैं। गेस्ट्रो, यूरो और कार्डियो, न्यूरो सहित कई विंग के चिकित्सकों की भर्ती की जा रही है लेकिन ये सुविधाएं केवल कागजों में चल रही है। इसकी बानगी है कि मेडिकल कॉलेज में गेस्ट्रोलॉजी, यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजी के चिकित्सक लगे हुए हैं लेकिन ये चिकित्सकों के पास जांच करने के लिए मशीनें तक नहीं है।
सोनोग्राफी की मशीन पर इको का प्रोब लगाकर जुगाड से जांच की जा रही है। कल्याण अस्पताल में जरूरी संसाधनों के नहीं आने से न्यूरो चिकित्सक तो छोडकर ही चले गए। जबकि कल्याण अस्पताल में सवा सौ से ज्यादा चिकित्सक है और रोजाना डेढ हजार से ज्यादा मरीजों का आउटडोर है।
यूं समझें परेशानी

मेडिकल कॉलेज के अधीन कल्याण अस्पताल में मरीजों को एंडोस्कोपी और इको कार्डियोग्राफी जैसी साधारण जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है। जबकि कल्याण अस्पताल के पास एंडोस्कोपी और इको कार्डियोग्राफी की मशीन उपलब्ध है। हार्ट और पेट संबंधी बीमारियों के मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों में या रेफर किया जा रहा है। कल्याण अस्पताल की मेडिसिन ओपीडी में करीब बीस प्रतिशत रोगियों की एंडोस्कोपी व इको कार्डियोग्राफी करवानी पड़ती है। इन साधारण जांच जांच के लिए एक मरीज को हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
हार्ट रोगियों को मिलेगा जीवनदान

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रयास बधाला के अनुसार अस्पताल के ओपीडी में रोजाना औसतन हर बीसवें मरीज की इको जांच करने की जरूरत होती है। ऐसे में हार्ट संबंधी जांच के लिए मशीनों का होना बेहद जरूरी है। कैथ लैब शुरू होने पर हार्ट के मरीजों को राहत मिल सकेगी।
इनका कहना है

अस्पताल में मल्टी स्पेशिलिटी विंग के लिए मशीन व उपकरणों की खरीद राज्य स्तर पर पेंडिंग चल रही है। कुछ बेसिक मशीनों की खरीद आरएमआरएस के फंड के जरिए करवाने की स्वीकृति मिली है। इसके बाद जल्दी ही मरीजों को राहत मिलनी शुरू हो जाएगी।
डॉ. महेंद्र कुमार, अधीक्षक कल्याण मेडिकल कॉलेज

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