सीकर

बोर्ड परीक्षा में निजी परीक्षक लगाने पर छिड़ी बहस

 
शिक्षा विभाग की नीति पर उठे सवाल

सीकरJan 29, 2020 / 07:12 pm

Puran

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सीकर. सरकारी शिक्षकों की पर्याप्त संख्या होने के बाद भी राज्य सरकार निजी स्कूल शिक्षकों को परीक्षक लगा रही हैं। परीक्षक के लिए निजी स्कूल शिक्षकों का रजिस्ट्रेशन किया गया हैं। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की साख बनाए रखने की बात को लेकर शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस निर्णय का विरोध जताया हैं। शिक्षकों संगठनों का कहना है कि इसी कांग्रेस सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में निजी स्कूल शिक्षकों को परीक्षक नहीं लगाने का निर्णय लिया था। लेकिन इस बार सरकार ने अपने ही निर्णय को बदलकर शिक्षा नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिक्षक संगठनों का आरोप है कि अगर बोर्ड परीक्षाओं में निजी शिक्षकों की ओर से किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही सामने आती है, तो उन पर क्या कार्रवाई होगी। निजी शिक्षकों के सेवा रिकॉर्ड खराब करने, नौकरी से निकालने, नोटिस देने व सस्पेंड करने जैसी कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती हैं। ऐसे में निजी स्कूल शिक्षक मनचाहे तरीके से अपनी मनमानी करेंगे। शिक्षा विभाग का कोई दबाव इन पर नहीं रहता है। संगठनों का यह भी कहना है कि यदि सरकार को निजी स्कूल शिक्षकों पर इतना ही विश्वास है तो उन्हें चुनाव, जनगणना और अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों में क्यों नहीं लगाया जाता हैं।
योग्यता के साथ नहीं होना चाहिए कोई समझौता
निजी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक भी सरकारी स्कूल के शिक्षक की तरह ही काम के प्रति जिम्मेदार होते हैं। अगर गलती करते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। योग्यता के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। सरकारी व निजी दोनों में अच्छे शिक्षक हैं। योग्यता व अनुभव के आधार पर एक मापदंड होना चाहिए।
बीएल रणवां, जिलाध्यक्ष, निजी शिक्षण संस्थान सीकर।

सरकार का यह सही नही फैसला
सरकारी शिक्षकों की पर्याप्त संख्या होने के बाद भी निजी स्कूल शिक्षकों को परीक्षक बनाना सरकार का सही फैसला नहीं है। यदि सरकार को उन पर इतना ही विश्वास है, तो उन्हें चुनाव ,जनगणना और अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों में भी लगाया जावे। हमारा संगठन सरकार से मांग करता है कि फैसले पर पुनर्विचार कर बोर्ड की साख को बनाये रखें।
उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)

संदेह के घेरे में बोर्ड की गोपनीयता और विश्वसनीयता
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा बोर्ड परीक्षा में निजी परीक्षकों को नियुक्त करने से परीक्षा की गोपनीयता और विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ जाएगी। सरकार को इस निर्णय पर पुन: विचार करना चाहिए। अगर यह करना ही है तो निजी के साथ एक सरकारी परीक्षक लगना चाहिए।
मदनलाल गढ़वाल, प्रदेश महामंत्री, वरिष्ठ अध्यापक संघ (रेस्टा)

शोषण करने वाला है सरकार का निर्णय
राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) निजी विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की बोर्ड परीक्षाओं में ड्यूटी लगाने के सरकार के निर्णय को शोषण करने वाला आदेश मानता है। यदि सरकार उनसे सरकारी कार्य करवाती है, तो उस अवधि का पुरा वेतन व अन्य सुविधाएं भी उन्हें सरकार को ही देनी चाहिए। इसकी बजाए सरकार को उन्हे सुविधाएं देनी चाहिए।
विजय कुमार, जिलाध्यक्ष

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