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सरकार के अधीन हो मंदिर
चौधरी विरेन्द्र सिंह ने इस दौरान खाटूश्यामजी मंदिर को सरकार के अधीन करने का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि मंदिर में देशभर के श्रद्धालु आते हैं जो खूब चढ़ावा चढ़ाते हैं। पर इसके बावजूद मंदिर कमेटी श्रद्धालुओं की व्यवस्था नहीं कर पा रही। लिहाजा मंदिर को देव स्थान विभाग के अधीन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं।
सोशल मीडिया पर दिया जा रहा तूल
विधायक ने कहा कि कुछ संगठन खाटूश्यामजी के विवाद को जातिगत रंग देने में लगे हैं। इसके लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट की जा रही है। पर खाटूश्यामजी आस्था का केंद्र है। जहां इस तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि भड़काऊ बातों में ना आकर वह खाटूश्यामजी मामले में चल रही जांच में सहयोग करें।
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शाबासी की जगह निलंबित किया तो भी चुप रहे
चौधरी वीरेंद्र सिंह ने कहा कि मंत्री खाचरियावास और गुढ़ा प्रदेश के सात करोड़ लोगों के मंत्री हैं। जिनके शब्द कानून होते हैं। बयान देने से पहले उन्हें सोचना चाहिए था। कहा कि खाटूश्यामजी हादसे के बाद एसडीएम व तहसीलदार को निलंबित किया गया है। जबकि पिछले साल ही वह सफल मेला आयोजित करवा चुके हैं। लेकिन, शाबासी देने की जगह उन्हें इस बार सजा मिली। इसके बावजूद वे इसलिए नहीं बोले कि जांच चल रही है। पर इस बीच खाचरियावास ने मंदिर कमेटी का पक्ष ले लिया। जबकि उन्हें जनता का साथ देना चाहिए। कहा कि अगर सरकार का मंत्री कमेटी को क्लीन चिट देता है तो जनता का भरोसा टूटेगा ही। प्रेसवार्ता में सिंह ने मंदिर कमेटी पर अन्य कई आरोप भी लगाए।
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यूं शुरू हुई कलह
खाटूश्यामजी में एकादशी पर हादसे के बाद विधायक वीरेन्द्र सिंह ने मंदिर कमेटी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। खाटूश्यामजी के बाजार बंद करवाकर विधायक ने समर्थकों के साथ मंदिर कमेटी कार्यालय के ताले तोड़कर आक्रोश जताया था। जिसे मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने बुधवार को खाटूश्यामजी पहुंचकर अनुचित करार दिया। वहीं, मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने भी मंदिर कमेटी के साथ अन्याय नहीं होने की बात कहते हुए कमेटी का पक्ष लिया। जिसके बाद विधायक चौधरी वीरेन्द्र सिंह प्रेसवार्ता में दोनो पर पलटवार किया है।