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चोरों से ज्यादा सांडों के आतंक से शहरवासी डरे हुए…पढ़़े पूरी खबर

परिषद के पास नहीं है कोई कार्ययोजना: समाधान के लिए सरकार की मेहरबानी पर निर्भर सांडों के प्रबंधन के नाम पर जिम्मेदार तंत्र फेल

सीकरSep 16, 2019 / 05:44 pm

Vinod Chauhan

चोरों से ज्यादा सांडों के आतंक से शहरवासी डरे हुए…पढ़़े पूरी खबर

सीकर. शहर में गंभीर होती सांडों की समस्या के समाधान के नाम पर जिम्मेदार तंत्र फैल हो गया है। इस समस्या के समाधान के लिए जिम्मेदार नगर परिषद के पास कोई कार्ययोजना नहीं है। जनता का दबाव बढऩे पर कुछ सांडों को घेर कर नंदीशाला भेज दिया जाता है। कुछ समय बाद उन्हे वापस छोड़ दिया जाता है।
परिषद के कर्मचारी कुछ सांडों को शहर से बाहर छोडक़र भी आते हैं तो उससे अधिक संख्या में सांड गांवों से शहर में लाकर छोड़ दिए जाते हैं। वर्तमान हालात को देखते हुए परिषद समाधान के लिए राज्य सरकार के विशेष सहयोग की तरफ नजर लगाए हुए हैं।
सिरे नहीं चढ़ पाए परिषद के प्रयास
नंदियों के संरक्षण के लिए नगर परिषद की ओर से किए गए प्रयास सिरे नहीं चढ़ पाए। इसका सबसे बड़ा कारण नंदियों की बढ़ती संख्या के साथ संकल्पबद्धता की कमी भी है। नंदीशाला में चारे की व्यवस्था के लिए परिषद ने गत माह शहर में ई-रिक्शा शुरू किया था। इसे शहर के सुभाष चौक में खड़ा किया जाता है। लोग गायों के लिए चारा व रोटी इसमें डाल सकते हैं। लेकिन यह योजना भी आगे नहीं बढ़ पाई है। वजह है कि इसे कुछ क्षेत्र में सिमित कर दिया गया है। जबकि इसे शहर में पांच स्थानों पर शुरू किया जाना था। जन सहयोग से बनाई गई नंदीशाला भी कोई राहत नहीं दे पाई है।
कागजों में अटके योजना और दावे
शहर को आवारा सांडों से मुक्ति दिलवाने की योजनाएं तो कई बार बनी। लेकिन वे धरातल पर नहीं उतर पाई। पिछले दिनों विधायक राजेन्द्र पारीक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर योजन का खुलासा किया तो लोगों को लगा कि सरकार अब इस तरफ ध्यान देकर समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएगी, लेकिन जनता के सामने अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। पत्र में वन भूमियों के तारबंदी करवाकर उनमें आवारा पशुओं को रखने और नरेगा श्रमिकों को उनकी देखभाल करने का जिम्मा देने की बात लिखी गई थी। इसके अलावा टोल नाको के पास की पंचायतों में गौशाला स्थापित करने का सुझाव था। इन गौशालाओं के संचालन के लिए उस मार्ग पर निकलने वाले वाहनों से टोल के साथ कुछ पैसा लिया जा सकता है। यह सुझाव दुर्घटनाओं में कमी भी लाने वाला था। इसके अलावा किसानों को बछड़ी पैदा करने वाला सीमन रियायती दरों पर उपलब्ध करवाने की बात भी कहीं गई थी, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है।

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