सीकर

बचपन से था तिरंगे से लगाव फिर उसी में लिपटा पार्थिव देह, 15 घुसपैठियों को उतारा था मौत के घाट

शेखावाटी की वीर भूमि में कदम-कदम पर शहीदों की वीर गाथाओं के किस्से है। किसी ने दुश्मन को घर में जाकर खदेड़ा तो किसी ने घायल होने के बाद भी दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया। ऐसे ही एक वीर जवान सीकर के हरिपुरा गांव निवासी श्योदानाराम थे। जिन्होंने करगिल युद्ध में देश के नाम अपनी जान कुर्बान कर दी।

सीकरJan 15, 2024 / 02:09 pm

Sachin

शेखावाटी की वीर भूमि में कदम-कदम पर शहीदों की वीर गाथाओं के किस्से है। किसी ने दुश्मन को घर में जाकर खदेड़ा तो किसी ने घायल होने के बाद भी दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया। ऐसे ही एक वीर जवान सीकर के हरिपुरा गांव निवासी श्योदानाराम थे। जिन्होंने करगिल युद्ध में देश के नाम अपनी जान कुर्बान कर दी।

1971 में भारत पाक युद्धकाल में हरिपुरा गांव में जन्में श्योदाना राम के जहन में देशभक्ति का जज्बा भी मानों जन्म से ही पला था। बालपन से ही उसे तिरंगे से बेहद लगाव था। देशभक्ति के कार्यक्रमें वह चाव से भाग लेकर भाव से अभिनय करता था। उम्र बढऩे के साथ ही देशभक्ति का यह जज्बा भी जवान होता गया। जो 20 साल की उम्र में ही 1991 की सेना भर्ती के जरिए उसे 17 जाट रेजीमेंट में सिपाही पद तक ले गया लेकिन, यह तो मुकाम था। भारत माता के लिए कुछ कर गुजरने की मन में ठानी मंजिल अभी बाकी थी।

जिसका वह छुट्टियों में घर लौटने पर अक्सर यार-दोस्तों में करता। कहता- ’कुछ ऐसा कर जाउंगा कि सब याद रखेंगे’। आखिरकार 1999 के करगिल युद्ध में उसने कही कर भी दिखाई। 7 जुलाई को मोस्का पहाड़ी स्थित पाकिस्तानी घुसपैठियों का आसान निशाना होने पर भी दुर्गम चट्टानों को पार करते हुए इस जांबाज ने अपनी पलटन के साथ एक के बाद एक 15 घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन, जैसे ही वह सैनिक चौकी पर भारतीय झंडा फहराने के मुहाने पर था, इसी दौरान दुश्मन के एक आरडी बम के धमाके ने उसे हमेशा के लिए मौन कर दिया। जिस तिरंगे से उसे सबसे ज्यादा प्रेम था उसी में लिपटी उसकी पार्थिव देह अगले दिन घर पहुंची। जिसे नमन करने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा।

यह भी पढ़ें

24 दिन तक सही पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बर यातनाएं, रूह कंपा देगी बनवारी लाल बगड़िया की कहानी




दोनों बेटों को मिली सरकारी नौकरी, जहन में जिंदा है यादें
शहीद श्योदाना का परिवार अब उनके साले सांवरमल संभाल रहे हैं। जो शहीद के परिवार को सरकार से मिले पेट्रोल पंप का संचालन कर रहे हैं। जवान की शहादत के समय छह साल का रहा बड़ा बेटा संदीप अब जलदाय विभाग में जेईएन पर नियुक्त है। वहीं, दो साल की उम्र में पिता को खोने वाला छोटा बेटा प्रदीप पंजाब नेशनल बैंक में क्लर्क पद पर नियुक्त है। परिवार में यूं तो खुशहाली है पर शहीद श्योदाना राम की याद अब भी परिवार की आंखें नम हो जाती है।

संबंधित विषय:

Hindi News / Sikar / बचपन से था तिरंगे से लगाव फिर उसी में लिपटा पार्थिव देह, 15 घुसपैठियों को उतारा था मौत के घाट

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.