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गर्मी से बढ़े ब्रेन स्ट्रोक के मरीज: गंभीर बीमारियों में खतरा

शुगर, बीपी और सीओपीडी के मरीजों में ज्यादा खतरा सामान्य से ज्यादा तापमान से पकने लगा शरीर का प्रोटीन प्रदेश में पिछले सप्ताह से अचानक बढ़ी तेज गर्मी ने ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ा दी है। तेज गर्मी के कारण अस्पतालों में समझने और बोलने और चलने में परेशानी होने लगती है। मेडिसिन […]

सीकरJun 06, 2024 / 11:37 am

Puran

शुगर, बीपी और सीओपीडी के मरीजों में ज्यादा खतरा

सामान्य से ज्यादा तापमान से पकने लगा शरीर का प्रोटीन

प्रदेश में पिछले सप्ताह से अचानक बढ़ी तेज गर्मी ने ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ा दी है। तेज गर्मी के कारण अस्पतालों में समझने और बोलने और चलने में परेशानी होने लगती है। मेडिसिन व ट्रोमा में रोजाना चलते समय शरीर का संतुलन नहीं बना पाने वाले लक्षणों वाले चार से पांच नए मरीज आ रहे हैं। इनमें से कई बार गंभीर मरीज को आईसीयू में भर्ती तक करना पड़ रहा है। चिकित्सकों के अनुसार 45 डिग्री से ज्यादा तापमान होने पर पानी की कमी हो जाती और दिमाग तक जाने वाली खून की सप्लाई कम हो जाती है। खून गाढ़ा होकर नसों में जम जाता है। इससे ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण नजर आने लगते हैं। शुगर, बीपी और सीओपीडी के मरीजों में गर्मी के कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
ये हो सकता है खतरा

चिकित्सकों के अनुसार ब्लड प्रेशर बढ़ने से ब्रेन में मौजूद नसों पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है और उनसे ब्लीडिंग हो जाती है। ब्रेन की नसों में क्लॉट बनने शुरू हो जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने की जरूरत है। साथ ही वजन को लम्बाई के अनुसार मेंटेन करने से काफी हद तक इस बचा जा सकता है। सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना इसके शुरूआती लक्षण हैं।
इन्हें समय पर चिकित्सक की सलाह लेेकर आसानी से दूर किया जा सकता है। हीट स्ट्रोक से दिमाग और नर्वस सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ सकता है। जब शरीर अपने आप को ठंडा रखने में नाकाम हो जाता है, तब शरीर में पानी की बहुत कमी हो जाती है।
गर्मी सोख रही सोडियम और पोटेशियम

शरीर के सभी अंगों के सही तरीके से संचालन में सोडियम- पोटेशियम जैसे मिनरल का होना जरूरी है। ये रक्त व शरीर के अंगों में भी मौजूद रहते हैं। इनकी पर्याप्त मात्रा अंगों को सुरक्षित रखती है। इलेक्ट्रोलाइट तंत्रिका और मांसपेशी के काम पर नियंत्रण, शरीर में पानी की मात्रा और शरीर के पीएच (अम्लीय व क्षारीय प्रवृत्ति ) स्तर को मेंटेन करते है। इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित होने पर मांसपेशियों में ऐंठन शुरू हो जाती है। इससे हार्ट, किडनी को नुकसान होता है। कई बार मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है।
इनका कहना है

तेज गर्मी के कारण ब्रेन स्ट्रोक के मरीज बढ़े हैं। इस बीमारी के कारण भर्ती मरीजों में डिहाइड्रेशन के कारण किड़नी कम काम करने लगती है। हालांकि शुरूआती लक्षणों के दौरान उपचार मिलने से मरीजों को गंभीर स्थिति में पहुंचने से बचाया जा सकता है।
डॉ. रघुनाथ प्रसाद, सहायक आचार्य मेडिसिन, सीकर

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