scriptबिन पुस्तक कैसे दें टक्कर, विद्यार्थी व अभिभावक दोनों परेशान | Books not available in government school | Patrika News
सीकर

बिन पुस्तक कैसे दें टक्कर, विद्यार्थी व अभिभावक दोनों परेशान

सरकार एक तरफ निजी स्कूलों के टक्कर में सरकारी विद्यालयों को और बेहतर बनाना चाहती है।

सीकरMay 03, 2018 / 04:14 pm

vishwanath saini

books


सीकर. सरकार एक तरफ निजी स्कूलों के टक्कर में सरकारी विद्यालयों को और बेहतर बनाना चाहती है। श्रेष्ठ परिणाम, ज्यादा नामांकन के साथ गुणवत्ता सुधारने की आशा रखती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अन्य संसाधन तो दूर की बात अभी तक सरकारी विद्यालयों में पुस्तकें तक नहीं आई हैं। पुस्तकें नहीं आने के कारण 26 अप्रेल से शुरू हुआ प्रवेशोत्सव का पहला चरण भी ज्यादा सफल नहीं हो रहा। अधिकतर अभिभावक एक ही जवाब दे रहे हैं, कि किताब ही कोनी, जणा टाबर स्कूल जार कै करसी।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने हाल ही में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि एक मई से हर विद्यालय में पुस्तकों का वितरण हो जाना चाहिए। सरकारी विद्यालयों में पढऩे वाले कक्षा एक से आठ तक के सभी विद्यार्थियों और कक्षा 9 से 12 तक पढऩे वाली सभी छात्राओं, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों तथा ऐसे छात्र जिनके माता-पिता आयकर नहीं देते हैं, उन्हें सभी पाठ्यपुस्तकें निशुल्क दी जाती हैं। सत्र पूरा होने पर जिन विद्यार्थियों की पुस्तकों की हालत अच्छी होती है, वे वापस ले ली जाती है।


औसत विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत पुरानी व 50 प्रतिशत नई पुस्तकें मिलती हैं। इधर राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल की ओर से अभी तक नोडल वितरण केंद्रों को ही पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध नहीं कराई है। विभाग के अधिकारियों की मानें तो नए सत्र में आधी किताबें तो पुरानी तथा आधी नई किताबें देनी पड़ती है। जबकि नई किताबें तो अभी तक आई ही नहीं है। ऐसे में निदेशक के पहले दिन से विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के निर्देशों की पालना नहीं हो रही।


अधिक नहीं रख सकेंगे
संस्था प्रधानों को आवश्यकता से एक भी पुस्तक अधिक नहीं रखने को कहा गया है। अधिक होने पर नोडल केंद्र पर जमा करानी होगी। हर जिले के जिला नोडल अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी (शैक्षिक) को अधीनस्थ विद्यालयों को मांग के अनुसार ही पुस्तकें वितरित कराने के निर्देश दिए गए हैं।


इनको परेशानी ज्यादा
शिक्षकों का कहना है कि आठवीं व दसवीं का परीक्षा परिणाम नहीं आने के कारण वे विद्यार्थी विद्यालय में कम आ रहे हैं। इस कारण उनकी पुस्तकें भी पूरी नहीं मिल रही। इस कारण नए विद्यार्थियों को पुस्तकें देने में परेशानी आ रही है।


पहले होती व्यवस्था
नया सत्र शुरू कर दिया गया है, इसलिए पुस्तकों की व्यवस्था पहले ही कर लेनी चाहिए थी। नई पुस्तकों की व्यवस्था नहीं होने के कारण अनेक विद्यार्थी व अभिभावक दोनों परेशान हैं। -उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश मंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत

Hindi News / Sikar / बिन पुस्तक कैसे दें टक्कर, विद्यार्थी व अभिभावक दोनों परेशान

ट्रेंडिंग वीडियो