प्रमोटेड कंटेंट
जानकारी के अनुसार नगरदास की बालाजी सीनियर सैकण्डरी स्कूल में पढऩे वाली छात्रा कविता कुमारी के दसवीं में परिणाम के समय 80.67 प्रतिशत अंक आए थे। जिसमे विज्ञान विषय में सिर्फ 43 अंक थे। जबकि छात्रा के बाकि विषय में 80 से ज्यादा अंक थे। कविता पढ़ाई में मेधावी थी, इसलिए विज्ञान संकाय लेना चाहती थी, लेकिन दसवीं कक्षा के विज्ञान विषय में 43 अंक होने के कारण सभी लोगों के दवाब के चलते उसे आर्ट्स विषय लेना पड़ा। कविता ने आरटीआई के माध्यम से अपनी उत्तरपुस्तिका मंगवाई थी। बोर्ड ने गुरुवार को कॉपी के साथ परिवर्तित परिणाम भी भेजा तब बोर्ड की गलती की पोल खुली। उत्तरपुस्तिका में कविता के विज्ञान विषय में 94 नंबर आए हुए थे, लेकिन रिजल्ट में सिर्फ 43 अंक ही अंकित थे। जबकि 51 अंकों की बढ़ोतरी होने पर कुल प्राप्तांक परसेंटेज 89.16 होती।
जानकारी के अनुसार नगरदास की बालाजी सीनियर सैकण्डरी स्कूल में पढऩे वाली छात्रा कविता कुमारी के दसवीं में परिणाम के समय 80.67 प्रतिशत अंक आए थे। जिसमे विज्ञान विषय में सिर्फ 43 अंक थे। जबकि छात्रा के बाकि विषय में 80 से ज्यादा अंक थे। कविता पढ़ाई में मेधावी थी, इसलिए विज्ञान संकाय लेना चाहती थी, लेकिन दसवीं कक्षा के विज्ञान विषय में 43 अंक होने के कारण सभी लोगों के दवाब के चलते उसे आर्ट्स विषय लेना पड़ा। कविता ने आरटीआई के माध्यम से अपनी उत्तरपुस्तिका मंगवाई थी। बोर्ड ने गुरुवार को कॉपी के साथ परिवर्तित परिणाम भी भेजा तब बोर्ड की गलती की पोल खुली। उत्तरपुस्तिका में कविता के विज्ञान विषय में 94 नंबर आए हुए थे, लेकिन रिजल्ट में सिर्फ 43 अंक ही अंकित थे। जबकि 51 अंकों की बढ़ोतरी होने पर कुल प्राप्तांक परसेंटेज 89.16 होती।
बोर्ड की गलती कितने बच्चों को करती होगी मायूस
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की इस तरह की लापरवाही ना जाने कितने बच्चों को मायूस करती होगी। हर वर्ष इस तरह के कई केस सामने आते हैं। इसके बाद भी बोर्ड की ओर से कोई सुधार नहीं होने के कारण कई विद्यार्थियों की जिदंगी बदल जाती है। कई छात्र व छात्रा हताश होकर दूसरे विषय लेने पर मजबूर हो जाए है, तो कई मानसिक तनाव झेलते हैं, हर वर्ष गड़बड़ी होने के बाद भी बोर्ड सुधार नहीं कर पा रहा है।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की इस तरह की लापरवाही ना जाने कितने बच्चों को मायूस करती होगी। हर वर्ष इस तरह के कई केस सामने आते हैं। इसके बाद भी बोर्ड की ओर से कोई सुधार नहीं होने के कारण कई विद्यार्थियों की जिदंगी बदल जाती है। कई छात्र व छात्रा हताश होकर दूसरे विषय लेने पर मजबूर हो जाए है, तो कई मानसिक तनाव झेलते हैं, हर वर्ष गड़बड़ी होने के बाद भी बोर्ड सुधार नहीं कर पा रहा है।
विज्ञान विषय में कम अंक के कारण छात्रा कविता ने कला संकाय में प्रवेश लिया था। दसवीं कक्षा के हर विषय में अच्छे अंक होने के कारण उन्हें अंदाजा नहीं था कि विज्ञान में इतने कम अंक आ सकते हैं। विज्ञान विषय में कम अंक होने के कारण माता-पिता और शिक्षकों ने कला संकाय लेने के लिए कहा जबकि छात्रा विज्ञान विषय लेना चाहती थी। आरटीआई के तहत जब कॉपी का आदेश दिया गया तो पूरी हकीकत सामने आ गई थी ।
-दिनेश पारीक
प्राचार्य नगरदास बालाजी सीनियर सैकण्डरी स्कूल
-दिनेश पारीक
प्राचार्य नगरदास बालाजी सीनियर सैकण्डरी स्कूल