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भैरोंसिंह शेखावत ने सीकर के थानेदार से लेकर देश के उपराष्ट्रपति तक का सफर ऐसे तय किया

Bhairon Singh Shekhawat का 23 अक्टूबर को जन्मदिन है। तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे शेखावत का निधन 15 मई 2010 को हुआ था।
 

सीकरOct 24, 2018 / 03:16 pm

vishwanath saini

Bhairon Singh Shekhawat Biography in Hindi

सीकर. इन्हें जोड़-तोड़ की राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी कहा जाता था। अल्पमत में रहकर भी सरकार बनाना कोई इनसे सीखे। राजस्थान में भाजपा की जड़े जमाई और तीन बार मुख्यमंत्री रहे। अपनी राजनीति शैली के कारण कई बार देशभर में सुर्खियों में भी रहे। उस जमाने में भाजपा की अंदरुनी कलह तेज होती तो संकटमोचन के रूप में इन्हें ही याद किया जाता था।

गुजरात और दिल्ली के कई मामलों में इन्होंने भाजपा को संकट से उभारा था। जब भी भाजपा संकट में फंसी इनका राजनीतिक अनुभव पार्टी के काम आया। ऐसी शख्सीयत थे पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत। राजस्थान के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री और जन-जन के बाबोसा भैरोंसिंह शेखावत की जयंती के मौके पर विस्तार से जानिए उनकी जिंदगी के बारे में।


भैरोंसिंह शेखावत की जीवनी


– राजस्थान के सीकर जिले के गांव खाचरियावास के एक गरीब राजपूत परिवार में 23 अक्टूबर 1923 को जन्मे भैरोंसिंह शेखावत का बचपन काफी संघर्षपूर्ण रहा।

– घरेलू जिम्मेदारियों के कारण शेखावत को हाई स्कूल पास करने के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

– इसके बाद शेखावत ने अंग्रेजों के जमाने में पुलिस की नौकरी ज्वाइन की और इन्हें सीकर का थानेदार बनाया गया।

– कुछ समय बाद शेखावात का रुझान राजनीति की तरफ हो गया और इन्होंने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

– नौकरी छोड़ने के बाद शेखावत जनसंघ से जुड़ गए। आजादी के बाद 1952 में देश में पहली आम चुनाव में भैरोंसिंह शेखावत ने सीकर जिले के दांतारामगढ विधानसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाया और विधायक बने।

– इसके शेखावत ने राजस्थान की राजनीति में अपनी पैठ जमा ली और धीरे धीरे आगे बढ़ते गए। 1952 के बाद से शेखावत ने 10 बार विधानसभा चुनाव लड़ा और नौ बार जीते।

– खास बात यह थी कि शेखावत ने हर बार अपना क्षेत्र बदला। तब भी जनता से इन्हें झोलीभर वोट मिले। 1971 बाड़मेर से लोकसभा का मध्यावधि चुनाव लड़े और हार गए।

– वर्ष 1974 से 1977 शेखावत मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य रहे। इस बीच देश में आपातकाल घोषित हो गया, जिसमें शेखावत को 19 माह जेल में गुजारने पड़े।

– देश में आपातकाल समाप्त होने के बाद नवगठित जनता पार्टी को भारी सफलता मिली। 22 जून 1977 को भैरोंसिंह को राजस्थान का पहला गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ।

– लेकिन वर्ष 1980 में केन्द्र में आई कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की भैरोंसिंह सरकार को भंग कर नए चुनाव करवाए।

– इस बार शेखावत नवगठित भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े और सदन में विपक्ष के नेता चुने गए। 1985 से 1989 तक के विपक्ष के नेता बने रहे।

– 1990 में जनता दल के विधायकों के समर्थन से भैरोंसिंह शेखावत ने राजस्थान में सरकार बनाई और दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।

– वर्ष 1991 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने के बाद 15 दिसम्बर 1992 को केन्द्र ने शेखावत सरकार को बर्खास्त कर दिया।

– इसके बाद 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में शेखावत ने कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से राजस्थान में सरकार बनाई और 4 दिसम्बर 1993 को तीसरे बार मुख्यमंत्री बने।

– स्वभाव से मिलनसार और जनसम्पर्क में माहिर भैरोंसिंह शेखावत दबंग नेता माने जाते थे। वर्ष 2002 से 2007 तक शेखावत देश के उपराष्ट्रपति रहे। 15 मई 2010 को इनका निधन हो गया।

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