सभी भाग व श्लोक लिखे
गीता में श्रीकृष्ण में श्रीकृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है। गीता के कुल 700 श्लोक 18 अध्याय में विभक्त हैं। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। 8 अध्याय में अध्याय विषाद योग में 46, सांख्य योग में 72, कर्म योग में 43, ज्ञान कर्म संन्यास योग में 42, कर्म संन्यास योग में 29, ध्यान योग अथवा आत्मसंयम योग में 47, ज्ञान विज्ञान योग में 30, अक्षर ब्रह्मयोग में 28, राजविद्या राजगुह्य योग में 34, विभूति विस्तार योग में 42, विश्वरूप दर्शन योग में 55, भक्ति योग में 20, क्षेत्रजन विभाग योग में 35, गुणत्रय विभाग योग में 27, पुरुषोत्तम योग में 20, दैवासुर सम्पद विभाग योग में 24, श्रध्दात्रय विभाग योग में 28, मोक्ष संन्यास योग में 78 श्लोक है।
इनका कहना है.
गीता हाँल में दीवारों पर संगमरमर के पत्थरों पर सम्पूर्ण गीता लिखी है और अनेक र्स्वण नक्काशीयुक्त चित्र बने हुए है। गीता हाँल में प्रवेश करते ही एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का शरीर में संचरण होंने लगता है और चित्त को शांति मिलती है।
बजरंगलाल शर्मा सचिव जीआर चमडिया ट्रस्ट
तत्कालीन सेठ परिवार की ओर से कालेज में प्रवेश के साथ ही वाचनालय (गीता हाँल) में पूरी गीता लिखने का मकसद विद्यार्थीयों को प्रारंभिक काल से ही धर्म और कर्म की जानकारी देकर उनमें संतुलन बैठा कर प्रगति के पद पर अग्रसित करना रहा होगा ।तत्कालीन भामाशाही की यह सोच बडी दूरगामी थी, आज पांच पीढी इससे लाभान्वित हो चुकी है।
डाॅ. संजू भास्कर, प्रिंसिपल, सेठ जीआर चमडिया पीजी कालेज, फतेहपुर