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राजस्थान के सबसे ‘ताकतवर’ डॉक्टर अजय चौधरी होंगे सीकर के सीएमएचओ, जानिए इनका संघर्ष

ARISDA : सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी जन्म चूरू जिले के सुजानगढ़ के चौखाराम चौधरी के घर 4 अक्टूबर 1966 को हुआ था

सीकरDec 29, 2017 / 09:10 pm

vishwanath saini

Dr Ajay Chaudhary
सीकर.

राजस्थान में 50 से ज्यादा मरीजों की मौत और 12 दिन के बाद राज्य सरकार और चिकित्सकों के बीच सुलह हो गई। चिकित्सकों ने हड़ताल समाप्त किए जाने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के साथ ही सीकर जिले को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में वो चिकित्सक मिले हैं, जो इन दिनों राजस्थान में सबसे ‘ताकतवर’ चिकित्सक के रूप में सामने आए हैं। ताकतवर इस मायने में कि पूरे प्रदेश के चिकित्सकों की समस्याओं को राज्य सरकार के सामने लाने की मुहिम का नेतृत्व किया और उसे अंजाम तक भी पहुंचाया।
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जानिए कौन हैं डॉ. अजय चौधरी

डॉ. अजय चौधरी का जन्म राजस्थान के चूरू जिले के सुजानगढ़ के चौखाराम चौधरी व सुशीला चौधरी के घर 4 अक्टूबर 1966 को हुआ था। इनकी शादी मंजू चौधरी के साथ हुई। डॉ. चौधरी बीएससी, एमबीबीएस तक शिक्षित हैं। ये लम्बे समय तक चूरू में सीएमएचओ रहे हैं। चिकित्सकों की हड़ताल की चलते सरकार ने इनका तबादला सीएमएचओ चूरू के पद से हिंडौन सीएचसी में कर दिया था। वहां से अब हड़ताल समाप्ति पर इन्हें सीकर में सीएमएचओ लगाया गया है।

पहले मेडिकल छात्रों अब चिकित्सकों का नेतृत्व


-डॉ. अजय चौधरी 1987 में एसएमएस मेडिकल प्रवेश लिया था। 1990-91 में मेडिकल छात्रों की समस्याओं को लेकर इनके नेतृत्व में राजस्थान में छात्र आंदोलन हुआ।14 सितम्बर को राजस्थान बंद और 26 सितम्बर 1990 को जयपुर में छात्र कफ्र्यू की रणनीति को भी इन्होंने ने ही अमली जामा पहनाया था।
-1995 में राजकीय सेवा में आने के बाद चूरू जिले में चिकित्सकों को एकजुट कर संगठन को पुर्नजीवित करने का प्रयास शुरू किया।
-वर्ष 2011 में राज्य में सेवारत चिकित्सकों के संगठन अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के राज्य संगठन महामंत्री का दायित्व मिलने पर सभी जिलों में भ्रमण कर सेवारत चिकित्सकों को संगठित कर एक मंच पर लाने का काम किया।
-एक मंच पर आने के बाद चिकित्सकों ने आंदोलन किया, जिसका नतीजा यह रहा कि 30 साल से लंबित सेवारत चिकित्सकों के समयबृद्ध पदोन्नति की मांग समेत अन्य मांगों को 11 जुलाई 2011 को एक लिखित समझौते में स्वीकार करवाया।
-11 जुलाई 2011 के समझौते का क्रियान्वयन नहीं होने पर 21 दिसम्बर 2011 को राजस्थान में चिकित्सा नाफरमानी का ऐलान करते हुए ऐतिहासिक चिकित्सक आंदोलन का बिगुल बजाया।
-चिकित्सकों के आंदोलन से घबराई राज्य सरकार को रेशमा लागू करना पड़ा।
-24 दिसम्बर 2011 को एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सामने आमरण अनशन पर बैठे। तब इनको गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल जयपुर व बाद में दौसा जेल भेजा गया।
2017 में ये हुआ सरकार और डॉक्टरों में समझौता
जयपुर . हड़ताल समाप्ति की घोषणा करते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष (आरिसदा) डॉ. अजय चौधरी का स्थानान्तरण आदेश संशोधित कर उन्हें सीकर का मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बनाया जाएगा। डॉ.चौधरी का तबादला हिंडौन सीएचसी में कर दिया था। साथ ही 12 डॉक्टरों का भी तबादला किया था। इन बिंदुओं का समझौता पत्र में उल्लेख नहीं किया गया। लेकिन आधिकारिक प्रेस वार्ता में इसकी घोषणा की गई। 12 डॉक्टरों से विकल्प लेकर उनके स्थान बदले जाएंगे।
चिकित्सा मंत्री जा बैठे दूसरे कमरे में


वार्ता में केबिनेट मंत्री युनूस खान, चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ, चिकित्सा राज्य मंत्री बंशीधर बाजिया, सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक भी मौजूद थे। इस दौरान शाम करीब 6 बजे चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ कुछ देर के लिए दूसरे कमरे में जाकर बैठ गए। बताया गया कि कुछ बिंदुओं पर वे सहमत नहीं थे। जिस पर उनकी सरकार के ही मंत्री प्रतिनिधियों से उनकी नोंकझोंक भी हुई। हालांकि बाहर किसी भी मंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया।
7 घंटे में पल-पल बदलते रहे संदेश

राजधानी में स्वास्थ्य विभाग के सीफू कार्यालय में 7 घंटे तक चली वार्ता के दौरान कई बार सकारात्मक व नकारात्मक संदेश आते रहे। इस दौरान कई बार वार्ता में शामिल मंत्री और सेवारत चिकित्सक संघ के पदाधिकारी बाहर आए। मंत्री और चिकित्सक बार बार वार्ता रूम से बाहर निकल कर फोन पर बात करते नजर आए।
रेजिडेंट्स की इन मांगों पर सहमति

पीजी थिसिस और परीक्षा कॉपी जांच प्रणाली को पीजी प्रवेश बैच 2016 व 2017 तक यथावत रखने के संबंध में गठित कमेटी की अनुशंसा मानेंगे। इन सर्विस रेजिडेंट्स की पीजी अवधि में राजस्थान सिविल सेवा नियम रिवाइज करने को फिक्सेसन एवं रिवाइज एलपीसी जारी करने को अन्य कर्मियों की तरह 7वें वेतनमान के लाभ का प्रस्ताव वित्त विभाग भेजेंगे।

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