पहले मेडिकल छात्रों अब चिकित्सकों का नेतृत्व
-डॉ. अजय चौधरी 1987 में एसएमएस मेडिकल प्रवेश लिया था। 1990-91 में मेडिकल छात्रों की समस्याओं को लेकर इनके नेतृत्व में राजस्थान में छात्र आंदोलन हुआ।14 सितम्बर को राजस्थान बंद और 26 सितम्बर 1990 को जयपुर में छात्र कफ्र्यू की रणनीति को भी इन्होंने ने ही अमली जामा पहनाया था।
-1995 में राजकीय सेवा में आने के बाद चूरू जिले में चिकित्सकों को एकजुट कर संगठन को पुर्नजीवित करने का प्रयास शुरू किया।
-वर्ष 2011 में राज्य में सेवारत चिकित्सकों के संगठन अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के राज्य संगठन महामंत्री का दायित्व मिलने पर सभी जिलों में भ्रमण कर सेवारत चिकित्सकों को संगठित कर एक मंच पर लाने का काम किया।
-एक मंच पर आने के बाद चिकित्सकों ने आंदोलन किया, जिसका नतीजा यह रहा कि 30 साल से लंबित सेवारत चिकित्सकों के समयबृद्ध पदोन्नति की मांग समेत अन्य मांगों को 11 जुलाई 2011 को एक लिखित समझौते में स्वीकार करवाया।
-11 जुलाई 2011 के समझौते का क्रियान्वयन नहीं होने पर 21 दिसम्बर 2011 को राजस्थान में चिकित्सा नाफरमानी का ऐलान करते हुए ऐतिहासिक चिकित्सक आंदोलन का बिगुल बजाया।
-चिकित्सकों के आंदोलन से घबराई राज्य सरकार को रेशमा लागू करना पड़ा।
-24 दिसम्बर 2011 को एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सामने आमरण अनशन पर बैठे। तब इनको गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल जयपुर व बाद में दौसा जेल भेजा गया।
जयपुर . हड़ताल समाप्ति की घोषणा करते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष (आरिसदा) डॉ. अजय चौधरी का स्थानान्तरण आदेश संशोधित कर उन्हें सीकर का मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बनाया जाएगा। डॉ.चौधरी का तबादला हिंडौन सीएचसी में कर दिया था। साथ ही 12 डॉक्टरों का भी तबादला किया था। इन बिंदुओं का समझौता पत्र में उल्लेख नहीं किया गया। लेकिन आधिकारिक प्रेस वार्ता में इसकी घोषणा की गई। 12 डॉक्टरों से विकल्प लेकर उनके स्थान बदले जाएंगे।
वार्ता में केबिनेट मंत्री युनूस खान, चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ, चिकित्सा राज्य मंत्री बंशीधर बाजिया, सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक भी मौजूद थे। इस दौरान शाम करीब 6 बजे चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ कुछ देर के लिए दूसरे कमरे में जाकर बैठ गए। बताया गया कि कुछ बिंदुओं पर वे सहमत नहीं थे। जिस पर उनकी सरकार के ही मंत्री प्रतिनिधियों से उनकी नोंकझोंक भी हुई। हालांकि बाहर किसी भी मंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया।