इसकी तैयारियां शुरू हो गई है। पंडित दिनेश मिश्रा के अनुसार अधिक मास में मंदिरों-आश्रमों में लोग पूजा-पाठ तथा कथा-प्रवचन करेंगे तो रमजान में रोजे के साथ मस्जिदों में नमाज व इबादत के साथ दुआ का दौर चलेगा। अधिक मास 16 मई से 13 जून तक चलेगा। रमजान माह चांद दिखने पर 17 मई से शुरू होगा। इस बार तेज गर्मी में रोजेदारों को सब्र का इम्तिहान अधिक देना पड़ सकता है।
हर तीसरे वर्ष संयोग
पुरुषोत्तम मास में मांगलिक कार्यों पर ब्रेक रहेगा, लेकिन अनुष्ठान, कथा आदि कार्य किए जा सकेंगे। ज्येष्ठ वाला अधिकमास दस वर्ष बाद आएगा। इससे पहले 2007 में ज्येष्ठ में अधिकमास क? योग ?? बना था। ज्योतिष गणना के अनुसार सौर मास और राशियां 12 होती हैं। जब दो पक्षों में संक्रान्ति नहीं होती तब अधिकमास होता है। अधिक मास शुक्ल पक्ष से प्रारम्भ होकर कृष्ण पक्ष में समाप्त होता है।
15 घंटे का सबसे लंबा रोजा
रमजान के लिए कम समय शेष रह गया है। चांद दिखाई देने के बाद पहला रोजा 17 मई को हो सकता है। 2017 में रमजान की शुरुआत 28 मई से हुई थी। रमजान में तीस रोजे होते हैं। करीब 30 साल बाद ऐसा मौका आएगा कि रमजान माह फिर से इसी तिथि के आस-पास शुरू होगा। गर्मियों में दिन बड़े होते हैं। ऐसे में रोजे का समय भी इस दौरान सबसे अधिक रहता है। इस साल सबसे अधिक समय का रोजा 15 घंटे 02 मिनट का होगा। अलग-अलग जगहों के हिसाब से समय में बदलाव हो सकता है।
सीरत ए पाक कमेटी के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद असलम फारूखी के अनुसार रमजान का महीना हमें गुनाहों से बचने और भलाई के रास्ते पर चलने की सीख देता है। पूरे माह के रोजे फर्ज हैं। रोजे के मायने केवल भूखे-प्यासे रहना नहीं है बल्कि खुद को हर उस बात से रोकना है जिससे किसी को तकलीफ पहुंचे। जुबान से किसी की बुराई या ऐसी बात न बोलें जो किसी को बुरी लगे। हाथों से ऐसे काम न करें जो किसी को तकलीफ पहुंचाए। उन जगहों पर न जाएं जहां गुनाह हो रहे हैं।