लक्ष्मणगढ़. शादी के बाद पढ़ाई जरूर छूटी लेकिन जुनून नहीं हारा। यह साबित कर दिखाया है बादूसर गांव निवासी मां-बेटे की जोड़ी ने ऑल इण्डिया बार एग्जाम एकसाथ उत्तीर्ण कर अनूठा कीर्तिमान बनाया है। गांव की 45 वर्षीया मंजू ढाका तथा उनके 25 वर्षीय बेटे जयराज ने एक साथ यह परीक्षा पास की है। मंजू के पति बाबूलाल ढाका भी पेशे से वकील है तथा ऑल इण्डिया ढाका परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। मंगलवार को घोषित हुए उक्त परीक्षा के परिणाम में सफलता पाकर मां-बेटे की जोड़ी ने कीर्तिमान बनाने के साथ ही पढ़ाई में बाधा के लिए उम्र और परिस्थितियों को जिम्मेदार बताने वाले लोगों को भी प्रेरणा देने का काम किया है।
मां-बेटे के इस कीर्तिमान में भी मां मंजू की कहानी ज्यादा दिलचस्प है। 1990 में आठवीं परीक्षा पास कर चुकी मंजू की 1991 में शादी हो गई, जिसके बाद परिस्थितियों के चलते उनकी पढ़ाई छूट गई। शादी के बाद भी उनके मन में आगे पढऩे की ललक बरकरार रही।
करीब डेढ़ दशक बाद वापस शिक्षा की ओर रुख करते हुए शादी के 18 साल बाद 2009 में उन्होंने गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर हरिद्वार (उत्तरांचल) से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करते हुए शिक्षा की दूसरी पारी की शुरुआत कर दी। इसके बाद मंजू के मन में पढ़ाई का ऐसा जुनून जागा कि वे एक के बाद एक डिग्रियां प्राप्त करती गई। उन्होंने एसएस इंस्टीट्यूट ऑफ वुमेन हेल्थ वर्कर ग्वालियर से एएनएम की परीक्षा पास कर ली। 2011 में ही उन्होंने सीनियर सेकेंडरी की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली तथा लक्ष्मणगढ़ कस्बे में निजी अस्पताल में बतौर नर्स सेवाएं शुरू कर दी। वर्ष 2016 में उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। इसके बाद मंजू ने कानून की पढ़ाई शुरू कर दी तथा 2019 में जगदीशप्रसाद झाबरमल टिंबरेवाला विश्वविद्यालय झुंझुनू से बैचलर ऑफ़ लॉ (एलएलबी) तथा 2021 में मास्टर ऑफ लॉ (एलएलएम) की डिग्री प्राप्त कर राजस्थान बार काउंसिल जोधपुर में रजिस्ट्रेशन करवा लिया और अब ऑल इण्डिया बार एग्जाम एक साथ उत्तीर्ण कर एक नया मुकाम हासिल कर लिया। शुरू से ही ढाका दंपती की योग में भी रुचि रही है, इसके चलते मंजू ने श्रद्धा योगा एंड दर्शन शिक्षण संस्थान से योगा की परीक्षा उत्तीर्ण कर जगदगुरू रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत यूनिवर्सिटी से योग शिक्षक की डिग्री भी प्राप्त की है।
घर की जिम्मेदारियों के साथजारी रही पढ़ाई
मूल रूप से जेठवा का बास गांव के रणवा परिवार की पुत्री मंजू का ससुराल बादूसर गांव में है लेकिन वर्तमान में वह अपने एडवोकेट पति तथा बच्चों के साथ कस्बे के रिद्धि सिद्धि नगर में रह रही है। उनके दो बेटे हैं जिनमें बड़ा बेटे जयराज ने मां के साथ ही ऑल इण्डिया बार एग्जाम उत्तीर्ण की है। जयराज एल एल एम फाइनल की परीक्षा भी दे रहा है। छोटा बेटा हिमांशु एथलीट है तथा यूथ एशियन चैंपियनशिप सहित कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुका है। हिमांशु ने नेशनल लेवल पर कई मेडल भी प्राप्त किए हैं।
हालात को जिम्मेदार बताकर पढऩा नहीं छोड़ें, पत्रिका ने बढ़ाया आत्मविश्वास
पत्रिका से विशेष बातचीत में मंजू ने बताया कि बचपन से ही इच्छा थी कि अधिक से अधिक पढक़र ज्ञान अर्जित करूं। शादी के पढ़ाई छूट गई लेकिन इच्छाएं जिंदा रही। पति के सहयोग से शादी के 18 साल बाद वापस पढ़ाई शुरू कर इतनी डिग्रियां प्राप्त करने में सफल रही। मंजू ने बताया कि डिग्रियां लेने के पीछ़े उद्देश्य नौकरी या पैसे कमाना नहीं बल्कि ऐसे लोगों को प्रेरित करना है, जो हालातों को जिम्मेदार बताकर पढ़ाई छोड़ देते है। उन्होंने बताया कि पढ़ाई के लिए मनोबल बढ़ाने में पति बाबूलाल ढाका के साथ-साथ पत्रिका का भी विशेष योगदान रहा। पत्रिका में प्रकाशित समाचारों तथा आर्टिकल्स को पढऩे से उनका आत्मविश्वास बढ़ता गया और वे आगे से आगे पढऩे में सफल रही।
मंजू से ले प्रेरणा
मंजू के साहस और संघर्ष की कहानी प्रेरक है। समाज की अन्य महिलाएं, जो शादी के बाद घर परिवार की जिम्मेदारी से बंधकर अपने करियर को नजरअंदाज कर देती हैं, उनके लिए मंजू की कहानी प्रेरणादायक साबित हो सकती है। कैसे मंजू ने शादी के 18 साल बाद किताबों से रिश्ता जोड़ा। रिश्ता भी ऐसा की हर एक कदम उंचाइयों की ओर बढ़ता रहा।