पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
31 जुलाई को हर्ष के पहाड़ पर मंदिर में दर्शन कर लौटते समय सुनील हादसे का शिकार हो गया था। पांच साल पहले बीमारी से पति को खोने के बाद इकलौते बेटे की मौत के बाद मां कमला देवी पूरी तरह टूट चुकी थी। दो छोटी बेटियों के साथ लकवा पीडि़त ससुर व सास के उपचार का जिम्मा भी उस पर आ गया था। आय का केाई जरिया नहीं होने पर बेटे के गम के साथ भविष्य की चिंता में सुध खो बैठी उस मां व परिवार के लिए पत्रिका आवाज बना। ‘कलेजे में दबी मां की कसक, न तो सुध, ना ही शब्द’ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर पत्रिका ने परिवार की पीड़ा को प्रमुखता से उठाया। जिसके साथ गांव के युवाओं की कोशिश व भामाशाहों के बढ़े कदमों ने परिवार को बड़ी आर्थिक मदद पहुंचाई। पत्रिका के खबर प्रकाशन को ग्रामीण खूब सराह रहे हैं।