शव को मोर्चरी में रखवाने के बाद मंगलवार को सुबह ही लोग वहां इकट्ठा होकर रेजीडेंसी मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई व मुआवजे की मांग पर अड़ गए। शव लेने से इन्कार करते हुए वे धरना देकर बैठ गए। जो नारेबाजी के बीच देर शाम तक जारी रहा। इस बीच रेजीडेंसी मालिक के साथ नगर परिषद की भी बड़ी लापरवाही सामने आई। स्टिल्ट के अलावा ग्राउंड फ्लोर और दो मंजिल की अनुमति के बावजूद रेजीडेंसी मालिक ने उसमें एक अतिरिक्त मंजिल भी बना रखी थी। लेकिन, पहले चेतने की बजाय नगर परिषद ने मासूम की मौत के बाद उसे नोटिस जारी कर खुद को सवालों व संदेह के कटघरे में खड़ा कर लिया।
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पति के बाद मां ने खोया लाल, भाई करता है मजदूरी
धरने में मासूम की मां मीनू कंवर भी शामिल रही। 2015 में पति को खोने के बाद बेटे को भी खो चुकी मां इस दौरान बेसुध व बदहवास रही। रह-रह कर उसे बिलखते देख हर किसी का कलेजा फटा जा रहा था। 21 वर्षीय भाई हेमंत ने बताया कि कुलदीप पांचवी कक्षा में पढ़ रहा था। पिता दिलीप सिंह की 9 साल पहले मौत के बाद परिवार में आय का साधन नहीं होने से उसे छोटी उम्र से ही मजदूरी करनी पड़ी। दोनों भाइयों के बीच 11 साल की एक बहन है। बकौल हेमंत चंचल स्वभाव का कुलदीप पूरे परिवार का लाडला था।मौत के बाद जागी परिषद
मासूम की मौत के बाद वार्डवासियों ने रेजीडेंसी के निर्माण पर भी सवाल उठाया। जिसके बाद हुई जांच में रेजीडेंसी में नगर परिषद की अनुमति से भी एक मंजिल ज्यादा बनना सामने आया। इसके बाद परिषद ने रेजीडेंसी मालिक निशा माथुर के खिलाफ अतिक्रमण का नोटिस जारी कर तीन दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा।9 घंटे चला प्रदर्शन, शाम को बनी सहमति
परिजनों के साथ वार्डवासी सुबह 9 बजे से ही मोर्चरी के बाहर इकट्ठा होना शुरू हो गए। बिर्ल्डस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ उन्होंने परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की। कलक्टर को लिखित ज्ञापन भी दिया। इस पर पुलिस व प्रशासन दिनभर उन्हें समझाने में जुटा रहा। पर कई दौर की वार्ता के बाद भी मामला नहीं सुलझा। आखिरकार करीब छह बजे बिल्डर मनोज सोनी के प्रतिनिधी से 15 लाख के मुआवजे पर सहमति व एसडीएम से सरकारी सहायता के आश्वासन के बाद प्रदर्शन 9 घंटे बाद शांत हुआ। इस दौरान उप जिला प्रमुख ताराचंद धायल, कानाराम जाट, वाल्मीकी समाज अध्यक्ष विक्की लखन, पार्षद गोपाल पार्षद, एडवोकेट हनुमानसिंह पालवास, आनंद सिंह कच्छावा आदि मौजूद रहे। यह भी पढ़ें