अतीत: चार डिब्बों की थी भाप की ट्रेन, आज से दस गुना ज्यादा था किराया
इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार 12 जुलाई 1922 में सीकर रेलवे स्टेशन पहुंची पहली रेल तीन से चार डिब्बों की थी। भाप के इंजन वाली ये रेल जयपुर से सीकर आई थी। जो 11 दिसंबर से नियमित हुई। ये रेल दिनभर में एक ही फेरा लगाती। जो सुबह सीकर से रवाना होकर रात को वापस लौटती। 30 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली रेल का किराया इस समय आज से भी करीब दस गुना ज्यादा था। जो यूं तो 15 आने ही था। पर सिक्के चांदी के होने की वजह से आज के हिसाब से उनकी कीमत करीब 550 रुपये थी। सीकर से चौमूं का किराया 12 व रींगस का आठ आने किराया तय था।
वर्तमान: ब्रॉडगेज पर दौड़ रही 32 ट्रेन, तीन गुना से तेज हुई रफ्तार
वर्तमान में सीकर रेलवे स्टेशन पर रेलों की संख्या व गति दोनों ने रफ्तार पकड़ी है। आज सीकर जंक्शन से ब्रॉडगेज की 32 रेलों की आवाजाही है। जो देश व प्रदेश की राजधानी दिल्ली व जयपुर के अलावा सीकर को उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र तक से सीधे जोड़ रही है। इनमें 140 किमी प्रति घंटे की गति से दौडऩे वाली दुरंतो रेल भी शामिल है। जिसकी तुलना 100 साल पहले की रेल से करें तो गति में तीन गुना से भी ज्यादा का इजाफा हो गया है।
भविष्य: देश के हर कोने से जुडऩे की उम्मीद
भविष्य में सीकर रेलवे स्टेशन से देश के हर कोने के लिए रेल संचालन की संभावना है। इसकी वजह जंक्शन का राजधानी दिल्ली व जयपुर से नजदीक होना है। दोनों ही जगह लंबी दूरियों की रेलों का आवागमन है। जिन्हें खड़े करने की समस्या हल करने के लिए रेलवे उनका विस्तार सीकर तक करता रहा है। शेखावाटी के सैनिकों व व्यापारियों की मांग को देखते हुए जम्मू कश्मीर, असम व पंजाब के लिए रेल संचालन जल्द होने की संभावना है।
यूं तय हुआ सीकर का रेल का सफर
– 12 जुलाई 1922 को भाप की पहली रेल जयपुर से सीकर पहुंची
– 11 दिसंबर 1922 को रेल नियमित हुई
– 18 सितंबर 1923 सीकर से नवलगढ़ रेल शुरू
– 1924 में झुंझुनूं तक ट्रेन बढ़ी
– 1942 में सीकर से फतेहपुर रेल शुरू
– 1957 में चूरू से जुड़ा सीकर जंक्शन
– सितंबर 2015 में दिल्ली से पहली ब्रॉडगेज ट्रेन पहुंची
– अब्टूबर 2019 में रींगस से पहली ब्रॉडगेज पहुंची।
– फरवरी 2022 में इलेक्ट्रिक ट्रेक का सीआरएस हुआ।
रेलवे में सीकर की ये भी बड़ी उपलब्धि
1. देश का सबसे बड़ा रेलवे फ्लाई ओवर सीकर के रींगस से छोटा गुढ़ा के बीच बना है। 187 करोड़ रुपए की लागत से 24 माह में तैयार हुआ यह आरओबी 7.30 किलोमीटर लंबा है।
2. एशिया का पहला रेलवे कॉरिडोर दिल्ली-मुंबई फ्रंट कॉरिडोर सीकर के नीमकाथाना व रींगस से होकर गुजरेगा। जिसका काम तेजी से चल रहा है।