38 वर्षीय मोतीलाल साहू का शव लेकर एंबुलेंस शनिवार दोपहर भोपाल से गुजरा है। यहां से उनके गांव की दूरी 700 किलोमीटर है। बताया जा रहा है कि मोतीलाल साहू खाली पेट 1400 किलोमीटर अपने घर के लिए निकलते थे। साहू के परिवार में उनकी पत्नी और 3 बेटियां हैं। मोतीलाल साहू नवी मुंबई में हाउस पेंटर का काम करते थे, वह लॉकडाउन की वजह से वहां फंस गए थे। पैसा और खाना खत्म होने के बाद मोतीलाल 50 मजदूरों की टोली के साथ मुंबई से पैदल ही चल दिए। प्रवासी मजदूरों की इस टोली में 9 मध्यप्रदेश के थे। ये लोग पहले लॉकडाउन तक मुंबई में ही रुके रहे, लेकिन दूसरे की घोषणा के बाद इनकी मुश्किलें बढ़ गई थी।
कल्याण पुलिस स्टेशन के एसआई कमलाकर मुंबई ने कहा कि 22 अप्रैल को 2:30 बजे ये लोग नेरुल से निकले थे। कुछ मजदूरों के पास मोबाइल फोन थे, जीपीएस के सहारे ये लोग आगे बढ़ रहे थे। सुबह 8 बजे के करीब ये लोग खदावली गांव पहुंचे, जहां ये लोग घंटों रुके रहे। शाम 5 बजे मोतीलाल साहू गिर गए। इसके बाद उनके साथियों ने 108 एंबुलेंस को फोन किया। मोतीलाल के गिरने के बाद साथ चल रहे लोग आगे बढ़ हए। लेकिन सुरेश साहू वहां रुके रहे, जो उनके पड़ोसी गांव से हैं।
मोतीलाल साहू के चचेरे भाई संजय ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए अंदरूनी रास्तों का सहारा ले रहे थे। इन्हें 24 घंटे से खाना-पानी नहीं मिला था। ठाणे के करीब जंगल में पानी में दिखा। मेरे चचेरे भाई ने उसको पी लिया और बेहोश हो गए। अस्पताल ढूंढने में 3 घंटे लगे, तब तक उनकी मौत हो गई।