ये है पूरा मामला
दरअसल, दो दिन पहले सीधी में रहने वाली महिला उर्मिला रजक को अचानक देर रात पेट में दर्द हुआ था। उनके पति ने 108 एम्बुलेंस के कॉल सेंटर पर कई बार संपर्क किया। कई बार प्रयास करने के बाद भी उन्हें एम्बुलेंस असाइन नहीं की गई। इसके बजाए उन्हें एक संजीवनी एम्बुलेंस असाइन की गई जो पहले से किसी और मरीज को अस्पताल ले जाने का काम कर रही थी। महिला की हालत खराब होता देख उसके परिजन ने उसे हाथ ठेले पर अस्पताल ले जाना शुरू किया। रास्ते में ही महिला को प्रसव हुआ और उसने ठेले पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। हालांकि, अस्पताल पहुंचने से पहले ही नवजात की मृत्यु हो गई। यह भी पढ़े – उमा भारती और आईपीएस अफसर का फेक वीडियो बनाने वाला शख्स गिरफ्तार, हुआ चौंकाने वाला खुलासा
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर उठाया था मुद्दा
इस घटना को लेकर एमपी कांग्रेस ने एक्स पर राज्य को घेरा था। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि ‘कुछ तो शर्म करो सरकार,एक घंटे तक एंबुलेंस को कॉल करता रहा परिवार।’ कांग्रेस ने डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला पर भी निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि ‘ठेले में डिलेवरी और नवजात की मौत, यह हालात उस सीधी जिले के हैं, जिसके पड़ोसी जिले रीवा से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और उप मुख्यमंत्री आते हैं।प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के दावे केवल कागजी है! सच्चाई यह है कि मोहन सरकार में गरीब तड़प तड़प कर मरने को मजबूर है।’ यह भी पढ़े – मोहन कैबिनेट के अहम फैसले : सिविल सेवा में महिलाओं को 35% आरक्षण, 50 साल की उम्र तक बन सकेंगे असिस्टेंट प्रोफेसर