गांव के लोग बताते हैं कि, यहां सबसे बड़ी चुनौती पानी ही है। यहां रहने वाले सभी परिवारों के सदस्य सुबह से शाम तक पानी जुटाने की ही व्यवस्था में लगे रहते हैं। पहाड़ी में आने जाने का समुचित मार्ग न होने के कारण आवागवन में भी काफी समस्या आती है। उतरते और चढ़ते समय गिरने का भी खतरा बना रहता है।
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गर्मियों में क्या होता होगा हाल?
ग्रामीणों की माने तो गर्मियों के मौसम में कभी-कभी प्राकृतिक झरने का पानी भी सूख जाता है, जिसके बाद पानी की असल मारामारी शुरु होती है। एक घघरा पानी लाने के लिए एक ग्रामीण को मीलों का सफर तय करना पड़ता है।
जनप्रतिनिधि कर रहे नजरअंदाज
जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत बचौड़ी में करीब साढ़े तीन हजार मतदाता हैं। इसी पंचायत के ग्राम हरदी अंतर्गत मूड़ा पहाड़ आता है, जहां ग्राम पंचायत की आधा सैकड़ा आबादी निवासरत है। चुनाव के समय यहां नेता पहुंचते हैं। लंबे चौड़े वायदे भी करते हैं और चुनाव के बाद इन्हें कोई पूछने नहीं आता।
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हादसे का बना रहता है डर
मूड़ा पहाड़ निवासी बुजुर्ग ग्रामीण राम विराजे पटेल ने बताया कि, हम रोजाना गांव से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ के नीचे जान जोखिम में डालकर पानी लेने के लिए उतरते हैं और चढ़ते हैं। दुर्गम मार्ग में आने जाने से हादसे का खतरा भी बना रहता है। लेकिन, मजबूरी के कारण पानी लेकर पहाड़ी में चढ़ना उतरना पड़ता है।
ग्रामीणों की समस्या का करूंगा समाधान
ग्रामीणों की इस समस्या को लेकर जब सिहावल के विधायक कमलेश्वर पटेल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, अभी मेरे संज्ञान में ये मामला नहीं था। मूड़ा पहाड़ी में निवासरत परिवारों के पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा। साथ ही, उनकी अन्य समस्याओं को सुनकर उनका भी निराकरण करेंगे।
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