नहर में दूषित पानी छोडऩे के लिए लगाई गई पाइप लाइन
तत्कालीन एसडीएम अर्पित वर्मा करीब एक माह पूर्व जब शिकायतों की जांच करने मझिगवां गए थे। उस दौरान पाया गया कि फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से सीमेंट प्लांट का दूषित पानी बाणसागर नहर में पाइप लगाकर छोड़ा जाता है, एसडीएम ने मौके से ही पाइप लाइन हटवाते हुए दुबारा ऐसा न करने की हिदायत दी गई थी, लेकिन ग्रामीणों के अनुसार फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा करीब एक सप्ताह पूर्व से पुन: पाइप लाइन के माध्यम से बाण सागर नहर में सीमेंट प्लांट का दूषित पानी छोड़ा जाना शुरू कर दिया गया है।
तत्कालीन एसडीएम अर्पित वर्मा करीब एक माह पूर्व जब शिकायतों की जांच करने मझिगवां गए थे। उस दौरान पाया गया कि फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से सीमेंट प्लांट का दूषित पानी बाणसागर नहर में पाइप लगाकर छोड़ा जाता है, एसडीएम ने मौके से ही पाइप लाइन हटवाते हुए दुबारा ऐसा न करने की हिदायत दी गई थी, लेकिन ग्रामीणों के अनुसार फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा करीब एक सप्ताह पूर्व से पुन: पाइप लाइन के माध्यम से बाण सागर नहर में सीमेंट प्लांट का दूषित पानी छोड़ा जाना शुरू कर दिया गया है।
प्रदर्शन के बाद भी प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
ग्रामीणों द्वारा जब इसका विरोध किया गया तो फैक्ट्री के कर्मचारियों ने कहा कि जिला प्रशासन की अनुमति के बाद ही ऐसा शुरू किया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार आंदोलन प्रदर्शन के बाद भी फैक्ट्री प्रबंधन की मनमानी नहीं रूक रही है, शिकायत करने वालों को झूठे पुलिस केश में फंसवाने की धमकी दी जाती है। कलेक्टर के जांच का आश्ववासन केवल आश्वासन तक ही सीमित होकर रह गया। ऐसे में क्षेत्रीय ग्रामीणों व किसानों का प्रशासन से विश्वास उठता जा रहा है।
ग्रामीणों द्वारा जब इसका विरोध किया गया तो फैक्ट्री के कर्मचारियों ने कहा कि जिला प्रशासन की अनुमति के बाद ही ऐसा शुरू किया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार आंदोलन प्रदर्शन के बाद भी फैक्ट्री प्रबंधन की मनमानी नहीं रूक रही है, शिकायत करने वालों को झूठे पुलिस केश में फंसवाने की धमकी दी जाती है। कलेक्टर के जांच का आश्ववासन केवल आश्वासन तक ही सीमित होकर रह गया। ऐसे में क्षेत्रीय ग्रामीणों व किसानों का प्रशासन से विश्वास उठता जा रहा है।