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Loksabha Election 2024 : ‘सीधी’ में नए चेहरों की राह नहीं ‘सीधी’, वोटर्स को रास नहीं आते दिग्गज नेता

Sidhi Loksabha Seat : एमपी की सीधी लोकसभा का मुकाबला दोनों ही प्रत्याशियों के लिए आसान नहीं होने जा रहा है।

सीधीApr 08, 2024 / 03:51 pm

Himanshu Singh

मध्यप्रदेश में मूत्र विसर्जन मामले से चर्चा में आए सीधी लोकसभा सीट पर प्रत्याशियों को राह सीधी नजर नहीं आ रही है। दोनों राजनीतिक दलों के बीच सियासी लड़ाई और रोचक होती जा रही है। तीन जिलों की आठ विधानसभा सीट वाले संसदीय क्षेत्र में चुनावी चक्कालस नजर नहीं आ रहा और न ही कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार करता नजर आ रहा। इन दिनों वोटर्स प्रदेशभर में चल रही ‘दल-बदल’ फिल्म देख रहे हैं। बता दें कि, स्थानीय नेताओं ने भी प्रचार से खुद को दूर रखा है।


बीजेपी ने डॉ राजेश मिश्रा को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने सिहावल पूर्व विधायक और सीडब्ल्यूसी मेंबर कमलेश्वर पटेल पर भरोसा जताया है। ये दोनों ही प्रत्याशियों का पहला लोकसभा चुनाव है। राजेश मिश्रा 2008 में बसपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। कमलेश्वर पटेल दो बार विधायक रह चुके है। वह 2023 का विधानसभा चुनाव हार चुके है।

 


लोकसभा चुनाव 2024 में जनता के मुद्दों पर दोनों ही पार्टियां बात नहीं कर रहीं हैं। बीजेपी राम मंदिर और मोदी पर जनता के बीच जा रही है। कांग्रेस सिर्फ जुबानी जंग कर रही है। यहां बात करने के लिए आदिवासी उत्थान, रोजगार, सड़क, बिजली, पानी जैसे कई अन्य मुद्दे हैं। सीधी ऐसा जिला है जहां एक भी औद्योगिक क्षेत्र नहीं है। कत्था और वनस्पति घी की फैक्ट्री बंद है। एकमात्र सीमेंट फैक्ट्री है जिसमें स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं है। लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं। सीधी-सिंगरौली हाइवे 10 साल से अधूरा पड़ा है। ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन का काम भी अधूरा पड़ा है।

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सीधी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां कोई भी राजनीतिक दल अपनी जड़ें नही जमा पाया। 1952 से अबतक 19 चुनाव हुए हैं। जिसमें वोटर्स ने सभी दलों को मौका दिया है। पहले सांसद भगवानदत्त शास्त्री सोशलिस्ट पार्टी से बने थे। कांग्रेस पांच बार और बीजेपी सात बार जीती।इसके साथ निर्दलीय भी जीतते रहे हैं। वोटरों ने नए चेहरों को ज्यादा मौका दिया। इस क्षेत्र की चौंकाने वाली बात ये कि लोगों को दिग्गज रास नहीं आए। कांग्रेस से सात बार विधायक रहे इंद्रजीत पटेल को लोगों ने 2009, 2014 में नकार दिया था। पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह राहुल पर भी 2019 में जनता ने भरोसा नहीं जताया।

 


सीधी क्षेत्र कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के कारण चर्चाओं में रहा। अर्जुन सिहं ने यहां से एक भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा।1996 में पूर्व सीएम अर्जुन सिंह कांग्रेस से नाराज होकर तिवारी कांग्रेस में शामिल हो गए थे। देश की कई सीटों पर प्रत्याशी उतारे। मप्र में तिवारी कांग्रेस सिर्फ सीधी से चुनाव जीती थी। तिलकराज सिंह ने बीजेपी के मानिक सिंह को 8204 मतों से हराया था। इस सीट पर तीन बार उपचुनाव हुआ है।1955 में मानचंद्र जोशी, 1977 में रविनंदन सिंह, 2007 में मानिक सिंह सांसद बने।


बीजेपी सांसद चंद्रप्रताप सिंह पर रिश्वत का दाग भी लगा था। 2005 में संसद में सवाल पूछने के एवज़ में 35 हजार की रिश्वत लेने पर सदस्यता खत्म कर दी गई थी। एक निजी चैनल के इस स्टिंग ऑपरेशन में 11 सांसद फंसे थे। सीधी संसदीय क्षेत्र में तीन जिलों की आठ विधानसभा सीट हैं। सीधी की चार सीधी, सिहावल, चुरहट और धौहनी हैं। इसमें तीन भाजपा के पास और एक चुरहट कांग्रेस के कब्जे में है। सिंगरौली की तीनों चितरंगी, सिंगरौली, देवसर भाजपा के कब्जे में हैं। शहडोल जिले की ब्यौहारी सीट पर भी भाजपा है।

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