एेसे में महज 150 मीटर का रास्ता करीब 700 मीटर हो गया है। अब जरूरत पडऩे पर जननी केन्द्र, एमसीएच, चिकित्सकीय क्वाटर्स होकर मोर्चरी तक पहुंचना पड़ता है। शनिवार को मोर्चरी में दो शवों के पोस्टमार्टम के दौरान यहां आने वाले मृतक के परिजन को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
सांसे फूल जाती है चिकित्सालय में गंभीर अवस्था में आने वाले मरीजों की इलाज के दौरान मौत या चिकित्सालय पहुंचने से पहले होने वाली मौतों के मामलों में शवों के पोस्टमार्टम मोर्चरी में होता है। मृतक के परिजन में कई एेसे भी होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती या बाहरी प्रदेश के होते हैं।
एेसे में उनके शव को चिकित्सालय की ट्रोली पर मोर्चरी तक ले जाया जाता है। यह ट्रोली तकनीकी लिहाज से ठीक नहीं होने के कारण इसे मोर्चरी तक लेजाने वालों की सांसे फूल जाती हैं। चिकित्सालय में कोई विशेष वाहन की व्यवस्था नहीं होने से शव को 700मीटर तक ट्राली में ले जाना पड़ता है।
रास्ता भी क्षतिग्रस्त चिकित्सालय के आपातकालीन वार्ड से मोर्चरी तक पहुंचने वाले मार्ग में क्षतिग्रस्त सड़क, निर्माण सामग्री का मलबा व रेत होने से ट्राली से शव को यहां तक ले जाना आफत बना हुआ है। यहां पर सड़क की ऊंचाई व बीच राह में खुले पड़े बायोवेस्ट पिट के कारण यह कठिनाइयों भरा मार्ग परिजनों के लिए मुश्किल भरा साबित हो रहा है।
सुरक्षा के लिहाज से बंद नए चिकित्सालय निर्माण के दौरान प्रमुख चिकित्सा अधिकारी से बात कर सुरक्षा के लिहाज से यह मार्ग बंद किया गया है। -डॉ. सीमा गर्ग, एसबी हॉस्पिटल एंड हैल्थ केयर प्रा, कम्पनी, दिल्ली
समस्या बढ़ गई है निर्माण कम्पनी ने इस मार्ग को लेकर हमसे बात की थी, लेकिन मार्ग बंद होने से मोर्चरी तक जाने वालों की समस्या बढ़ गई है। समस्या को लेकर मुझे कई लोगों ने अवगत करवाया है। यहां पर पैदल जाने वालों के लिए छोटे मार्ग के लिए अभियन्ताओं से बात की जाएगी।
– डॉ बी एल मंसुरिया, कार्यवाहक,प्रमुख चिकित्साधिकारी