भीषण जानलेवा गर्मी ( Extreme heat ) , पारा 43 डिग्री के भी पार, तमतमाता सूरज और भयानक चल रही लू ( Loo Alert ) के बीच अगर पीने को पानी ( Drinking Water ) भी न मिले तो जान पर बन आती है। ऐसी ही गंभीर समस्या से मध्य प्रदेश का एक इलाका भी जूझ रहा है। हम बात कर रहे हैं शिवपुरी जिले ( Shivpuri District ) के बदरवास ब्लॉक ( Badarwas block ) के अंतर्गत आने वाले एक गांव की, जहां के रहवासी पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। हालात ये हैं कि, जिंदा रहने के लिए इन्हें जान जोखिम में डालकर रात रात भर जागकर एक किलोमीटर दूर स्थित जोखिम भरे कुएं ( well) से मौत को छूकर पीने के लिए पानी लाना पड़ रहा है। अफसोस की बात ये है कि इतने जोखिम के बाद भी ग्रामीणों को कीचड़ के समान गंदा दिखने वाला पानी पीना ( polluted water ) पड़ रहा है।
मामला है बदरवास विकासखंड अंतर्गत आने वाली झूलना पंचायत ( Jhoolana Panchayat ) के आदिवासी गांव भासोड़ा ( Bhasoda Village ) का है, जहां के ग्रामीण इस समय बूंद – बूंद पानी के लिए मोहताज हैं। पत्रिका की टीम ने जब भीषण गर्मी के बीच गांव पहुंचकर जब खुद यहां के हालात का जायजा लिया तो टीम के सदस्य भी यहां के लोगों की व्यथा देखकर सकते में आ गए। पत्रिका प्रतिनिधि ने खुद कुएं में उतरकर ग्रामीणों का दर्द और उनकी जद्दोजहद को मेहसूस किया।
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कैमरे में कैद हुई हैरान कर देने वाली तस्वीरें, Video
आपको बता दें कि भसोड़ा गांव में कुल 15 कुंए और 3 हैंडपंप हैं, लेकिन हकीकत ये है कि ये सभी हैंडपंप खराब पड़े हैं और सभी कुएं सूख चुके हैं। ऐसे हालात में पूरा गांव अन्य किसी इस्तेमाल की तो छोड़ें भारी पेयजल के संकट से जूझ रहा है। गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित एक पानी का सरकारी कुंआ है, जिसमें बूंद – बूंद पानी रिस रिसकर रात भर में इकट्ठा होता है। ऐसे में पानी के लिए यहां के ग्रामीणों को रात भर जागना पड़ता है, क्योंकि जीवन चलने के लिए पानी चाहिए। पानी का एकमात्र स्रोत इस कुएं में भी अग्नि परीक्षा से ग्रामीणों को जूझना पड़ता है। गहरे कुएं में उतरकर और छोटे डिब्बे से बर्तनों को भरना पड़ता है। जान जोखिम में डालकर ग्रामीण कुंए में उतरते हैं। इस सबके बावजूद इन्हें कुएं से मिलने वाला पानी बदबूदार, कीचड़ जैसा गंदा ही इकट्ठा होता है। जीवित रहने के लिए ग्रामीणों को यही पानी पीना पड़ रहा है। हालात ये हैं कि, दूसषित पानी पीकर गांव के कई ग्रामीण बीमार भी पड़े हुए हैं।झकझोर कर रख देगी ग्रामीणों की व्यथा
इससे अंदाजा लगया जा सकता है कि जब यहां इंसानों को ही जान जोखिम में डालकर बूंद – बूंद पानी के लिए लिए इस तरह जद्दोजहद करनी पड़ रही है तो फिर मवेशियों का क्या हाल होगा ? वैसे तो सरकार विकास के बड़े बड़े दावे करते हुए देशभर में अमृत मोहत्सव मनाकर घर घर नल से जल पहुंचाने के दावे कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ इसी पानी जैसी मूलभूत चीज के लिए भी भासोड़ा गांव के आदिवासी ग्रामीणों को बुरी तरह जूझना पड़ रहा है। गांव के अधिकतर ग्रामीणों तो सिर्फ पानी इकट्ठा कर घर लाने की जद्दोजहद में ही पूरा – पूरा दिन गुजार दे रहे हैं। इसे ये भी अंदाजा लगा सकते हैं कि ये फिर अपनी आजीविका चलाने के लिए काम कब कर पाते होंगे। यह भी पढ़ें- ट्रेन की बोगी से धुआं उठता देख यात्रियों में मची भगदड़, खिड़कियों से कूदकर भागने में कई घायल, देखें Video
जिनकी किस्मत अच्छी सिर्फ उन्हीं को मिल पाता है इस कुए से पानी
इस भासोड़ा गांव के निवासी वास्तव में बूंद बूंद पानी के लिए कितना परेशान जो रहे हैं इसका अंदाजा लगाना अधिकारियों को आसान नहीं है और न ही उनकी समस्या से इनका कोई वास्ता। गांव से एक किलोमीटर दूर कुएं में उतरकर बूंद बूंद पानी की खोज भी यहीं खत्म नहीं होती। क्योंकि, इस कुएं में भी सीमित मात्रा में ही पानी इकट्ठा हो पाता है, जो गांव के सभी लोगों के पीने के लिए भी पर्याप्त नहीं होता। यानी इनमें भी जिन – जिन लोगों की किस्मत अच्छी होती है, सिर्फ उन्हीं को यहां से पानी मिल पाता है।‘कुएं का पानी खत्म हो जाए तो कच्चे रास्ते पर 4 कि.मी जाना पड़ता है’
इस कुए में भी पानी खत्म हो जाने पर भासोड़ा के ग्रामीणों की पानी की असली तलाश शुरू होती है। इसके बाद जोखिम भरे रास्ते पर चलते हुए गांव से 4 किलोमीटर दूर बसे झूलना गांव जाकर ग्रामीणों को पानी लाना पड़ता है। इतनी जद्दोजहद के बाद भी हालात ये हैं कि, झूलना गांव के कुएं में पानी नियमित ही होने पर यहां के ग्रामीणों और भसोड़ा के ग्रामीणों के बीच आए दिन तनातनी हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि झूलना वासियों की भी इसमें गलती नहीं है, उनकी जरूरत के हिसाब से ही उनके गांव में पानी नियमित है और उसपर कई कई बार पूरा भसोड़ा गांव ही पानी भरने वहां जाता है, जिसपर उन्हें अपनी चिंता सताने लगती है।जिम्मेदार मजे काट रहे- ग्रामीण
कुल मिलाकर पूरा गांव पानी की इस विकराल समस्या से हर रोज जूझ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां हालात हर रोज बद से बदतर होते जा रहे हैं। बावजूद इसके हमारी सुविधाओं और जरूरतों का जिम्मा लिए आला अधिकारी अपने – अपने वातानुकूलित घरों और दफ्तरों में बैठकर फ्रिज के ठंडे और फिल्टर के स्वच्छ पानी का आनंद ले रहे हैं और गद्दीदार कुर्सियों पर बैठकर हमारे लिए हर जरूरी व्यवस्था मुहैय्या कराने का दावा करके मोटी – मोटी तनख्वाह भी ले रहे हैं। ये कागजों पर तो बाकायदा खानापूर्ति कर रहे हैं, लेकिन जमीन पर हमारी व्यथा किसी को दिखाई नहीं दे रही। यह भी पढ़ें- अजब गजब : लाल मिर्च पाउडर लगाकर इलाज करती है महिला, नुस्खा जानकर रह जाएंगे हैरान