जानकारी के मुताबिक एक-एक पंचायत में 80 व 50- 50 अधिक नाम एक-दो दिन में ही तहसीलदार दिनेश चौरसिया के हस्ताक्षर से बढ़ा दिए गए। जिन लोगों के नाम बीपीएल सूची में जोड़े गए है, वह लोग आर्थिक रूप से संपन्न है और उनके पास ट्रैक्टर-वाहन से लेकर बड़े-बड़े मकान है। अभी जिस ग्राम में नए नाम जोड़े गए है, उनमें ग्राम पंचायत नयाखेड़ा सड़क प्रमुख है।
इस ग्राम पंचायत की जनसंख्या 1300 के आसपास है व गांव में परिवार की संख्या 292 है, जबकि मतदाता 948 है। पंचायत में पहले से ही लगभग 130 बीपीएल धारी है। अब नए 84 परिवार और जुड़ गए। इसके अलावा ग्राम पंचायत उमरीकला, केंडर आदि ग्राम पंचायतों में भी आधा सैकड़ा नए नाम जोड़े गए हैं। यह सभी नाम 26 जून 2021 में पिछोर तहसीलदार के प्रभार पर रहे नायब तहसीलदार दिनेश चौरसिया ने जोड़े है।
हालांकि बीपीएल कार्ड बनाने का नियम यह कहता है कि ग्राम में बीपीएल में जितने नाम जोड़े जाएं उतरे नाम घटाए भी जाएं। साथ ही बीपीएल में नाम जुड़वाने वाले को तहसीलदार को आवेदन देना पड़ता है फिर इसके बाद पटवारी निश्चित प्रारूप में जांच करता है। जहां अंक निर्धारित होते हैं और निश्चित अंकों के आधार पर जांच रिपोर्ट तहसीलदार को प्राप्त होने पर पात्र हितग्राही को बीपीएल में जोड़ने का आदेश किया जाता है और वह आदेश जनपद में भेज कर पंचायत में जोड़ने के लिए भेजी जाती है।
पात्रों की सूची जनपद तक आने में लगेगे 8 माह
26 जून 2021 को जिन बीपीएल धारियों के नाम तहसील ने पात्र मानकर सूची में जोड़े थे, उन्हें जनपद में जुड़ने के लिए तहसील से जनपद तक आने में 8 महीने लग गए। अब जनपद कार्यालय में इन नामों को जोड़ने तहसील कार्यालय ने सूची भेजी है। इस संबंध में जब भौंती नायब तहसीलदार ज्योति लक्षकार से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह पंचायतें हमारे भौंती उप तहसील में ही आती हैं लेकिन जोड़े गए नामों के आदेश क्रमांक हमारे यहां दूसरे तहसीलदार के हस्ताक्षर से चंद ग्रामों में जोड़े गए थोक बंद बीपीएल नाम प्रकरण के नाम से दर्ज हैं। जब तहसीलदार पिछोर अखिलेश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा यह आदेश फर्जी भी हो सकता है। अब तहसील रीडर रितेश गुप्ता ही बता पाएगा। वहीं तहसीलदार रीडर रितेश गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा यह बीपीएल प्रकरण हमारे यहां दर्ज नहीं है। हो सकता है भौंती उप तहसील में दर्ज होंगे।
तीन ही पंचायतों में क्यों जोड़े गए नाम ?
यहां बता दें कि अगर शासन की किसी योजना के तहत यह नाम जोड़े गए है तो केवल 3 ही पंचायतों में यह नाम क्यों जोड़े गए ? अन्य पंचायतों में भी लोगों के नाम जुड़ना थे। इसके अलावा तहसील कार्यालय में जोड़े गए नामों का कोई रिकोर्ड नहीं है। अगर यह फर्जीवाड़ा हुआ है तो तहसीलदार के नाम से यह फर्जी आदेश कहां से आ गया। अब जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कुछ भी संतोषजनक जवाब देने की स्थिति में नही है।