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शिवपुरी

पीएम आवास की किस्त मिली तो घर बनाने लगे आदिवासी परिवार, अब भारी बारिश में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर, जाने कारण

MP News : जनपद पंचायत ने जियो टेगिंग में दर्शाई राजस्व भूमि, लेकिन बाद में हुई जांच में पता चला वो वन विभाग की जमीन है। वहीं, पीड़ित आदिवासी परिवारों की मानें तो वो बीते 65 साल से इसी जगह रह रहे हैं।

शिवपुरीSep 15, 2024 / 03:23 pm

Faiz

पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट, संजीव जाट
MP News : मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के अंतर्गत आने वाली बदरवास जनपद पंचायत की बड़ोखरा पंचायत की आदिवासी बस्ती गीतखेड़ा और वायंगा पंचायत की आदिवासी बस्ती में 24 और धामनटुक में 80 आदिवासी परिवारों को एक साल पहले जनमन योजना के तहत पीएम आवास स्वीकृत हुए। यही नहीं, इनमें से अबतक किसी आदिवासी परिवार को पहली किश्त के 75 हजार और किसी परिवार को दूसरी किश्त के 50 हजार रुपए मिल चुके हैं। भवन निर्माण भी शुरु हो गया, लेकिन फिर अचानक से इन परिवारों के साथ कुछ ऐसा हुआ कि, जिस पुरानी कच्ची झोंपड़ी को तोड़कर वो अपना पक्का पीएम आवास बना रहे थे, न सिर्फ उन्हें निर्माण कार्य बीच में ही रोक दिए गए, बल्कि अब क्षेत्र में जारी भारी बारिश के बीच वो खुले आसमान के नीचे जीवन गुजारने को मजबूर हैं।
आदिवासी परिवारों की इस दुर्दशा का कारण है दो विभागों के बीच अपनी-अपनी संपत्ति को लेकर शुरु हुआ विवाद। दरअसल, जिस जमीन पर ये आदिवासी परिवार लगभग आजादी के बाद से ही रहते आ रहे हैं। यहां उनके पूर्वज रहे और यही उनकी मृत्यु हुई। आर्थिक हालात ठीक ने होने के चलते उन्होंने पीएम आवास के तहत भवन बनाने के लिए आवेदन किया। इसके बाद आला अधिकारियों की निगरानी में उस भूमि का सर्वे किया गया। फिर जनपद पंचायत के अंतर्गत भूमि मानने के बाद उसके लिए पीएम आवास की स्वीकृति भी मिल गई।

किसी को पहली तो किसी परिवार को मिल चुकी दूसरी किस्त

पीएम आवास के तहत पक्के मकान का सपना संजोए इन गरीब आदिवासी परिवारों ने खुशी-खुशी अपनी पुरानी झोपड़ियां तोड़ी और पीएम आवास योजना के तहत मिलनी शुरु हुई किस्त से अपने लिए पक्के भवनों का निर्माण शुरु किया। खास बात ये है कि इनमें से कुछ परिवारों को पीएम आवास योजना की पहली किस्त के रूप में 75 हजार तो किसी परिवार को दूसरी भी किस्त के 50 हजार रुपए मिल चुके हैं। इस रकम से परिवारों ने अपनी पुरानी झोपड़ी हटाकर उसके स्थान पर पक्का निर्माण कार्य तक शुरु कर दिया। कुछ घरों पर तो सिर्फ अगली किस्त के जरिए छत डालने का इंतजार किया जा रहा है। लेकिन इसी बीच वन विभाग की एंट्री हुई और उसने संबंधित भूमि को अपने विभाग की बताकर जनपद को अगली किस्त रोकने का पत्र लिख दिया।

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बारिश के बीच खुले आसमान के नीचे रह रहे कई परिवार

एक तरफ बारिश का दौर शुरु होने से पहले सिर पर पक्की छत की आस लगाए ये आदिवासी परिवार पूरी शिद्दत अपने घरों के निर्माण कार्य में जुटे थे तो वहीं दूसरी तरफ वन विभाग ने संबंधित भूमि को अपनी बताकर जनपद पंचायत सीईओ को 28/5/2024 पत्र लिखकर आगामी जनमन योजना के तहत स्वीकृत पीएम आवास योजना की आगामी किश्तों पर रोक लगवा दी। इसके बाद अब बदरवास जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली बड़ोखर ग्राम पंचायत की आदिवासी बस्ती गीतखेड़ा और वायंगा पंचायत की आदिवासी बस्ती में 24 और धामनटुक ग्राम पंचायत की बस्ती के कुल 80 आदिवासी परिवार अब दो विभागों के फेर में फंसकर भारी बारिश के बीच खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

वन विभाग ने पत्र में क्या लिखा ?

भवनों के निर्माण के संबंध में सबसे पहले ये जानकारी वन परिक्षेत्र अधिकारी रामेश्वर उइके ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को दी। इसके बाद वन विभाग की ओर से जनपद पंचायत को पत्र लिखकर आदिवासी परिवारों को मिलने वाली आगामी किस्त पर रोक लगाने की मांग की। वन विभाग की ओर से जमपद को लिखे पत्र में कहा गया- ‘वनपरिक्षेत्र बदरवास के अंतर्गत परिक्षेत्र सहायक वृत्त बदरवास अ बीट वायंगा के कक्ष क. आर.एफ. 214,215 पी.एफ. 1260 में वन भूमि पर पीएम आवास योजना के तहत अवैध कुटीरों का निर्माण किया जा रहा है जो भारतीय वन अधिनियम की धारा 33 के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में है। अतः अनुरोध है कि, नीचे बताए गए व्यक्तियों के आवास या तो निरस्त किए जाएं या इनके खाते फ्रीज किए जाएं।’
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इन्हें मिलने वाली राशि पर लगी रोक

बदरवास जनपद की ग्राम पंचायत बड़ोखरा की आदिवासी बस्ती गीतखेड़ा में इन आदिवासियों की पीएम आवास की आगामी किश्तों पर रोक लगाई गई है।

कुटीर निर्माणकर्ता के नाम

-संतराम / रामचरण आदिवासी
-बच्चू / मगरा आदिवासी
-सीताराम / बच्चू आदिवासी
-मुकेश / बच्चू आदिवासी
-मुकेश / जुगरू आदिवासी
-हुकुमी / जुगरू आदिवासी
-दीनू / जुगरू आदिवासी
-उदयभान / भरोसा आदिवासी
-भरोसा / पुन्ना आदिवासी
-कल्लू / जीना आदिवासी
-ब्रजेश / गजराज सिंह आदिवासी
-विजयसिंह / कुमना आदिवासी
-सिरदार / कल्लू आदिवासी
-परगाल / सिरदार आदिवासी
-पूरन / भमरा आदिवासी
-जगभान / पूरन आदिवासी
-मुन्ना / पूरन आदिवासी
-रवीर / पूरन आदिवासी
-मौना / रघुवीर आदिवासी
-बुददु / पूरन आदिवासी
-कल्याण / मिश्री आदिवासी
-बलराम / मिश्री आदिवासी
-बालकिशन / रुमनी आदिवासी

इन्हें मिलने वाली राशि पर भी लगी रोक

इसके अलावा, ग्राम पंचायत वायंगा की आदिवासी बस्ती में इन आदिवासियों के पीएम आवास की आगामी किश्तों पर रोक लगाई गई है।

कुटीर निर्माणकर्ता के नाम

-सीताराम / रामदयाल आदिवासी
-ब्रजेश / अर्जन आदिवासी
-बावजीना आदिवासी
-मुन्शी / मंगू आदिवासी
-सल्लू / गंगू आदिवासी
-इस्तू / हल्दा आदिवासी
-बारेलाल / फतूरी आदिवासी
-बलबीर / सोनू आदिवासी
-गीता / चिरोंजी आदिवासी
-परमाल / जीना आदिवासी
-बन्नी / भूरा आदिवासी
-रामवीर / हल्लू आदिवासी
-गजराजसिंह / सरदार आदिवासी
-टुंडा / मंगू आदिवासी
-महराजसिंह / प्रकाश आदिवासी
-राकेश / राजन आदिवासी
-लखन / चावू आदिवासी
-बीरन / फऊआ आदिवासी
-जनवेद / फऊआ आदिवासी
-जगदीश / बावू आदिवासी
-महेश / बारेलाल आदिवासी
-सरदार / संपीरा आदिवासी
-संजू / हल्लू आदिवासी
-हल्लू / जामोती आदिवासी
-राधे / हल्ला आदिवासी

इन्हें मिलने वाली योजना की राशि पर भी लगी रोक

ग्राम पंचायत धामटूक में इन आदिवासी के पीएम आवास पर आगामी भुगतान पर लगी रोक

कुटीर निर्माणकर्ता के नाम

-कुसुम / कल्ला आदिवासी
-हरवीर / कल्ला आदिवासी
-लक्ष्मण / भगोना आदिवासी
-देशराज / सीताराम आदिवासी
-अत्तरसिंह / रामपाल आदिवासी
-गुड्डा / बिहारी आदिवासी
-शिवराज / चिरोजी आदिवासी
-नन्ने / परसादी आदिवासी
-सीताराम / कोमल आदिवासी
-बंदो / रामजीलाल आदिवासी
-नवलसिंह / कल्ला आदिवासी
-सिंधिया / सुरतसिंह आदिवासी
-पवन / स्तीराम आदिवासी
-कल्ला / दयाराम आदिवासी
-राजेन्द्र / दयाराम आदिवासी
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सचिव और इंजीनियर की भूमिका संदिग्ध

बदरवास जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली तीन अलग अलग पंचायतों में पीएम आवास जनमन योजना के तहत स्वीकृत हुए उक्त कर्मचारियों द्धारा गलत जियो टैंगिग की गई, जबकि जो पीएम आवास बनाए वो बन भूमि है। इसी के चलते 80 आदिवासियों को पीएम आवास की किश्तों पर रोक लगाई गई है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार?

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बदरवास वन परिक्षेत्राधिकारी आर.एस. उइके का कहना है कि ‘जैसे ही मामला संज्ञान में आया वन विभाग की टीम से मौके निरीक्षण कराया गया। जांच में निर्माण कार्य को अवैध मानने के बाद जनपद अधिकारियों को उक्त पीएम आवास की आगामी किश्तों पर रोक लगाने के लिए पत्र लिखा गया है।’

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