आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भेापाल द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित होने वाले इस आयोजन को लेकर परिषद के पदाधिकारियों और श्योपुर उत्सव के कर्ता-धर्ताओं ने तैयारियां तेज कर दी है। इसके लिए जनजातीय कलाकारों को आमंत्रण भेजा गया है। विशेष बात यह है कि इस आयोजन में श्योपुर की सहरिया और भील जनजातियों के लोक नृत्यों की भी छटा बिखरेगी।
इस मड़ई उत्सव में गौंड जनजातीय करमा, सैला, गुटुमबाजा, ठांठ्या, ढंडार और गेड़ी नृत्य, भारिया जनजातीय भड़म और सैताम नृत्य, बेगा जनजातीय परघोनी, दशहरा और घोड़ीपेठाई नृत्य, कोरकू जनजातीय गदली, थापटी और चिटकोला नृत्य, भील जनजातीय भगौरिया, डोहा और पालीय नृत्य, कोल जनजातीय कोल दहका नृत्य, सहरिया जनजातीय लहंगी नृत्य, गुजरात की राठवा जनजातीय का राठ, दिवारी और होली नृत्य, छत्तीसगढ़ की मुरिया जनजातीय के ककसार गेड़ी और माओपाटा नृत्यों की प्रस्तुतियां होगी। कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां 16 से 18 दिसंबर तक शाम साढ़े छह बजे से शहर के श्री हजारेश्वर मेला रंगमंच पर होगी।
जंगल ट्रेकिंग आज, हैरिटेज ट्रिप कल श्योपुर उत्सव के अंतर्गत आज 14 दिसंबर को देव खो से जंगल ट्रेकिंग का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। वहीं 15 दिसंबर को हेरिटेज ट्रिप के कार्यक्रम होंगे। जिसमें एक ट्रिप के लिए मानपुर गढ़ी, रामेश्वर त्रिवेणी संगम और ढोढर गढ़ी का रूट रहेगा, जबकि दूसरा ट्रिप डोब कुंड का होगा।
श्योपुर उत्सव के अंतर्गत मड़ई उत्सव कार्यक्रम है, जिसमें जनजातीय लोकनृत्यों की प्रस्तुतियां होगी। श्योपुर में ये ऐसा पहला कार्यक्रम होगा। रूपेश उपाध्याय, एसडीएम, श्योपुर