हांलाकि इन 9 वर्षों में रणथंभौर से कुछ और बाघ भी श्योपुर जिले की सीमा में आए हैं। लेकिन बाघ टी-38 को कूनो इतना रास आया है कि ये यहीं का होकर रह गया है। अक्टूबर 2010 में कूनो में प्रवेश करने और 3 फरवरी 2011 को पहली बार कैमरे में ट्रेस होने के बाद से बाघ टी-38 कूनो में एकछत्र राज करते हुए स्वछंद विचरण कर रहा है। यही वजह है कि ये बाघ जब-तब नजर आ जाता है।
डीएफओ ने मोबाइल कैमरे से क्लिक की ताजा तस्वीर
कूनो नेशनल पार्क में लगे कैमरों में बाघ टी-38 की तस्वीरें तो कई बार कैद हुई है, लेकिन गत 1 मार्च की रात्रि को कूनो डीएफओ ब्रिजेंद्र श्रीवास्तव ने स्वयं अपने मोबाइल कैमरे में बाघ की तस्वीर कैद की। हुआ यंू की डीएफओ श्रीवास्तव अपने साथी अफसरों के साथ पालपुर रेस्ट हाउस से लौट रहे थे, तभी रात्रि में उन्हें बाघ दिखाई दिया। यही वजह रही कि उन्होंने गाड़ी रुकवाई और बाघ की फोटो क्लिक की।
कूनो नेशनल पार्क में लगे कैमरों में बाघ टी-38 की तस्वीरें तो कई बार कैद हुई है, लेकिन गत 1 मार्च की रात्रि को कूनो डीएफओ ब्रिजेंद्र श्रीवास्तव ने स्वयं अपने मोबाइल कैमरे में बाघ की तस्वीर कैद की। हुआ यंू की डीएफओ श्रीवास्तव अपने साथी अफसरों के साथ पालपुर रेस्ट हाउस से लौट रहे थे, तभी रात्रि में उन्हें बाघ दिखाई दिया। यही वजह रही कि उन्होंने गाड़ी रुकवाई और बाघ की फोटो क्लिक की।