घडिय़ालों के संरक्षण के लिए देश की सबसे बड़ी राष्ट्र्रीय घडिय़ाल सेंचुरी के रूप में विकसित चंबल नदी में से देश भर में घडिय़ाल के बच्चे भेजे जाते हैं। हालांकि सोन और केन नदियों में पहले भी घडिय़ाल चंबल से दिए गए हैं, लेकिन इस वर्ष भी डिमांड के बाद वाइल्ड लाइफ ने अनुमति दे दी है। इसकी अनुमति भी वाइल्ड लाइफ से के बाद पिछले दिनों 5 घडिय़ाल के बच्चे भी सीधी की सोन नदी के लिए भेजे भी जा चुके हैं। वहीं अब 25 बच्चे केन नदी के लिए भेजने की तैयारी चल रही है। देवरी घडिय़ाल केंद्र मुरैना के विशेषज्ञ ज्योति डंडोतिया ने बताया कि इस बार केंद्र से 147 बच्चे चंबल में छोड़े जाने से थे, इन्हीं में से 30 बच्चे केन और सोन में दिए जाने की अनुमति आई है।
जिले के बरौली घाट पर छोड़े 35 बच्चे 30 बच्चे सोन और केन में दिए जाने के बाद 117 बच्चे चंबल नदी में भी छोड़ दिए गए हैं। जिसकी शुरुआत गत 1 दिसंबर को श्योपुर के पाली घाट से हुई, जब 40 बच्चे छोड़े गए। इसके बाद 4 दिसंबर केा मुरैना जिले में बनवारा घाट पर 42 बच्चे छोड़े गए और अब गत रविवार को श्योपुर जिले के बरौली घाट पर 35 घडिय़ाल के बच्चे छोड़े गए। डिस्चार्ज के इस अंतिम कार्यक्रम में सीसीएफ ग्वालियर बीएस अन्निगेरी, डीएफओ मुरैना पीडी गेब्रियल, डीएफओ कूनो ब्रिजेंद्र श्रीवास्तव, डीएफओ श्योपुर सुधांशु यादव सहित अन्य अफसर और चंबल घडिय़ाल की टीम मौजूद रही।