बीते रोज सुप्रीम कोर्ट ने अफ्रीकी चीतों को भारत में लाकर बसाने की अनुमति दे दी है। इसके लिए 10 साल पहले बनाए गए प्रोजेक्ट में श्योपुर का कूनो नेशनल पार्क सहित देश के तीन अभयारण्य शामिल हैं, जिनमें से किसी एक में अफ्रीकी चीते लाए जाने हैं। जबकि कूनो नेशनल पार्क में वर्ष 1994 से ही सिंह परियोजना के रूप में गुजरात के गिर से एशियाई सिंहों के पुनर्वासन की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि अपे्रल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी गुजरात से अभी एशियाई सिंह शिफ्ट नहीं हो पाए हैं, लेकिन अब अफ्रीकी चीते कूनो में बसाने की संभावनाओं से जिले के लोग आशंकित हैं कि कहीं इस प्रोजेक्ट के चलते एशियाई सिंहों का प्रोजेक्ट लटक न जाए। बताया गया है कि गत वर्ष गुजरात ने ये कहकर एक आपत्ति लगा दी थी कि कूनो में तो टाइगर आते-जाते रहते हैं, फिर वहां शेर कैसे रह सकेंगे। हालांकि गुजरात की ये आपत्ति विशेषज्ञों ने खारिज कर दी, लेकिन हर बार अड़ंगा लगाने वाला गुजरात कहीं अफ्रीकी चीतों को ऐशियाई सिंहों की राह का रोड़ा न बना ले।
सुप्रीम कोर्ट ने गठित की कमेटी, कूनो में देखेगी अनुकूलता
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गत मंगलवार को अफ्रीकी चीते भारत में लाने की अनुमति दे दी है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कूनो नेशनल पार्क या देश में अन्य कहीं अफ्रीकी चीतों को लाने की अनुमति दी है, साथ ही एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है, जो हर चार माह में न्यायालय को अपनी रिपोर्ट देगी। इस कमेटी में पूर्व वन्यजीव भारत के निदेशक रंजीत सिंह, वन्यजीव भारत के महानिदेशक धनंजय मोहन और पर्यावरण और वन मंत्रालय में वन्यजीव डीआईजी शामिल हैं। ये कमेटी कूनो नेशनल पार्क सहित देश कुछ अन्य स्थानों का अध्ययन करेगी और जो अफ्रीकी चीतों के लिए मुफीद होगा, उसकी अनुशंसा करेगी।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गत मंगलवार को अफ्रीकी चीते भारत में लाने की अनुमति दे दी है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कूनो नेशनल पार्क या देश में अन्य कहीं अफ्रीकी चीतों को लाने की अनुमति दी है, साथ ही एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है, जो हर चार माह में न्यायालय को अपनी रिपोर्ट देगी। इस कमेटी में पूर्व वन्यजीव भारत के निदेशक रंजीत सिंह, वन्यजीव भारत के महानिदेशक धनंजय मोहन और पर्यावरण और वन मंत्रालय में वन्यजीव डीआईजी शामिल हैं। ये कमेटी कूनो नेशनल पार्क सहित देश कुछ अन्य स्थानों का अध्ययन करेगी और जो अफ्रीकी चीतों के लिए मुफीद होगा, उसकी अनुशंसा करेगी।
वर्ष 2010 में बनाया गया था अफ्रीकी चीते लाने का प्रोजेक्ट
बताया गया है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में भारत में अफ्रीकी चीता को भारत में लाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था और कहा था कि भारतीय चीता विलुप्त हो गए हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2012 में इस प्रोजेक्ट पर रेाक लगा दी थी, लेकिन एनटीसीए ने वर्ष 2018 में पुन: इस पर याचिका दाखिल की। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गत मंगलवार को ये आदेश जारी किया है।