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झिंझाना में है अस्पताल
जानकारी के अनुसार वैश्विक महामारी कोरोना के चलते कस्बा झिंझाना स्थित सीएचसी में कोविड-19 अस्पताल बनाया गया है, जहां जिले में मिले कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार किया जा रहा है। उपचार के दौरान कोरोना संक्रमित कुल 31 मरीज मिले है, जिसमे 22 मरीज ठीक हो चुके है और अब 8 संक्रमित मरीजो का उपचार चल रहा है, लेकिन सोमवार को अस्पताल कर्मचारियों की घोर लापरवाही सामने आयी है। कोरोना संक्रमित मरीजांे के उपचार मे लगी डाक्टरांे की टीम द्वारा इस्तेमाल की गयी पीपीई किट व कोरोना संक्रमित मरीजों के सामान व बचे खाने को अस्पताल के गेट के पास बनाये गये कूडेदान के तीन चैम्बर मंे रखा जाता है। रविवार व सोमवार को पीपीई किट, बचे खाने व डिस्पोजल को कुत्ते नोंचते नजर आए। ये कुत्ते इसे खाने के बाद अस्पताल परिसर व आबादी क्षेत्र में घूमते है जिससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढता जा रहा है।अस्पताल प्रशासन आमजन की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है।
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निस्तारण प्रबन्धन का दावा
जब इस संबंध में कोविड 19 लेवल वन अस्पताल के नोडल प्रभारी अधिकारी डा. सफल कुमार से बात की गयी तो उन्होने बताया अस्पताल मंे स्टाफ द्वारा जो पीपीई किट इस्तेमाल की जाती है उसके प्रयोग के बाद उसको तीस मिनट ब्लीचिंग पाउडर मे रखा जाता है। उसके बाद उसको पाॅलोथीन में रखकर कूडेदान के लिए बनाये गये तीन चैम्बर मे रख दी जाती है और उसको बायोमेडिकल के कर्मचारी ले जाते है। यह उन कर्मचारियों की ही लापरवाही है, जो रोज कूडा नही ले जाते। महिला कर्मचारी को शटर खोलने बंद करने मे परेशानी होती है, शटर खुला रह गया होगा जिसके बाद चैम्बर मे कुत्ता घुस गया होगा। बताया जाता है कि कोविड 19 लेवल वन अस्पताल परिसर मे बने आवासों में लगभग आधा दर्जन अस्पताल कर्मचारियों के परिवार रहते है जिनकी जिंदगी दांव पर लगी हुई है।
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होगी जांच
जसजीत कौर जिलाधिकारी शामली ने बताया कि कोविड-19 अस्पताल के बारे में बनाई गई वीडियो के मामले का संज्ञान लेकर सीएमओ को जांच के निर्देश दिए गए हैं। अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को ब्लीचिंग पाउडर में साफ करके उन्हें पहले डिसनफैक्ट किया जाता है जिसके बाद उन्हें अस्पताल में बनाए गए शेड्स में रखा जाता है, जहां से वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी के कर्मचारी आकर उन्हें ले जाते है। जिसके बाद उन्हें डिस्पोजल किया जाता है। वीडियो की जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।