शामली

मुसलमान गुर्जर परिवार की इकरा हसन कैसे पश्चिमी यूपी की राजनीति का बन रही हैं बड़ा चेहरा

कैराना से समाजवादी पार्टी में की नव निर्वाचित सांसद इकरा हसन पश्चिमी यूपी में बड़ा चेहरा बन कर उभर रही हैं। इकरा हसन ने मंगलवार को संसद भवन में 18वीं लोकसभा के लिए पद की शपथ ली थी।

शामलीJun 28, 2024 / 01:44 pm

Swati Tiwari

कैराना से समाजवादी पार्टी की नवनिर्वाचित सांसद इकरा हसन ने मंगलवार को संसद भवन में 18वीं लोकसभा के लिए पद की शपथ ली। मंगलवार को इकरा हाथ में संविधान की किताब लिए ने संसद में पहुंची। शपथ के बाद इकरा ने जय हिंद और जय संविधान का नारा दिया। लंदन से पढ़ाई कर वापस लौटीं इकरा ने पश्चिमी यूपी में बड़ा चेहरा बन कर उभर रही हैं। यूपी की जनता से लेकर सोशल मीडिया पर लोग उन्हें खूब पसंद कर रहे हैं। इकरा 2016 से राजनीति में सक्रिय हैं, साल 2024 में भारी वोटों के साथ जीत दर्ज करने वाली इकरा हसन को लोग खूब पसंद कर रहे हैं।  

अपनी सादगी से जीता लोगों का दिल

इकरा के भाई नाहिद हसन 3 बार से विधायक हैं। 2022 में उन्होंने जेल से चुनाव लड़ा था और जीत भी गए थे। गैंगस्टर एक्ट के तहत नाहिद की गिरफ्तारी इकरा के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। उन्होंने लंदन में अपनी पीएचडी की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी और भाई को जीत दिलाने का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया। चुनाव प्रचार के दौरान इकरा ने बेबाकी और निडरता के साथ लोगों के सामने अपनी बात रखी। इकरा पश्चिमी यूपी की सबसे युवा सांसद बनी हैं। कहा जा रहा है कि इकरा ने अपनी सादगी और बेबाकी से लोगों का दिल जीत लिया है। इकरा हसन के लिए लोगों की दीवानगी का आलम ये है कि उनसे मिलने दूर दूर से लोग वेस्टर्न कोर्ट के रूम नबर 15 के बाहर जुट रहे हैं।
इकरा हसन का कहना है कि क्षेत्र का विकास उनकी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लोगों ने उन्हें प्यार दिया है, उन पर भरोसा जताया है, अब वह उनके प्यार का बदला क्षेत्र का विकास करके अदा करेंगी।

40 साल से राजनीति में है सक्रिय है परिवार 

इकरा हसन मुसलमान गुर्जर परिवार से ताल्लुक रखती हैं। इनका परिवार पिछले 40 साल से राजनीति में है। उनके दादा ने 1984 में कैराना से चुनाव लड़कर सांसद बने थे। उन्होंने बीपीएस सुप्रीमो मायावती को हराया था। मायावती पहली बार लोकसभा से चुनाव लड़ रही थीं। इसके बाद उनके पिता मुनव्वर हसन 1996 में कैराना सीट से जीत हासिल की थी। साल 2008 में सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। मुनव्वर हसन की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी तबस्सुम ने बीपीएस से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी। 

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