शाजापुर

MP ELECTION 2018 : मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए काले हिरण को बनाया टारगेट

चुनाव में काले हिरण को बनाया आइकॉन, फिर भी जंगल बसाने का मुद्दा भूल गए, ग्रामीण बोले- हिरणों के संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया

शाजापुरNov 11, 2018 / 03:10 pm

Lalit Saxena

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अनीस खान @ शाजापुर. शाजापुर जिले का ऐसा वन प्राणी जिसकी किसी को न कोई फिर्क है न परवाह, जो कभी चुनावी मुद्दों में शामिल नहीं किया जाता, जिसके लिए कभी नेताओं में बहस नहीं होती, न ही इनके संरक्षण के लिए कोई प्रयास किया जाता है। वह है काला हिरण। चुनाव आते हैं तो राजनीतिक दल इन हिरणों के लिए कोई मुद्दा नहीं उठाते, न ही इनकी चर्चा करते हैं…। क्योंकि ये हिरण मतदान नहीं कर सकते हैं। मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए इस बार प्रशासन ने जिले में बहुतायात में पाए जाने वाले काले हिरण को आईकॉन बनाया है। उनका स्टेच्यू बनाकर प्रचार-प्रसार कर मतदाताओं को जागरूक किया जाएगा।

वाहन से टकरा कर हो रही हिरणों की मौत
जिले के शुजालपुर-कालापीपल विधानसभा में अधिक संख्या में काले हिरण मिलते हैं। गांव गुलाना में चौकड़ी खेल रहे ग्रामीण बोले मुद्दे तो बहुत हैं। लेकिन नेता सिर्फ कोरे आश्वासन ही देते हैं। प्रतापसिंह बोले हमारे क्षेत्र में हिरणों के झुंड घूमते हैं, खेतों की फसले नष्ट कर जाते हैं, जिनके लिए आज तक जंगल नहीं बसाया। क्षेत्र में शेर और तेंदूए घूमते हैं। वन विभाग की टीम आती है लेकिन जनप्रतिनिधि कोई ध्यान नहीं देते हैं। रामसिंह व प्रभुलाल ने बताया लगातार हिरणों की संख्या बढ़ रही है। पानी की तलाश में हिरण भटकते हुए मार्ग पर पहुंच जाते हैं, वाहन से टकरा कर उनकी मौत हो जाती है। खेतों में घुसते हैं तो फसलों को नष्ट कर देते हैं। न हिरणों का सरंक्षण होगा तो खेत भी सुरक्षित रहेंगे।

जिले में 15 हजार हिरणों का झुंड

बता दें कि शाजापुर जिले में वन क्षेत्र शुन्य है। लेकिन राजस्व क्षेत्र में काले हिरण पाए जाते हैं। काले हिरण प्रजाति की संख्या में जिले में 15 हजार के करीब पहुंच चुकी है। वर्ष 2016 में हिरणों की संख्या 10076 थी। लेकिन दो साल में ही हिरणों की संख्या 50 फीसदी बढ़ चुकी है। लेकिन इनके संरक्षण के लिए शासन ने कोई प्रयास नहीं किया। जिले की शुजालपुर-कालापीपल विधानसभा के गांवों में बड़ी संख्या में हिरणों के झूंड है। 2016 के सर्वे के मुताबिक चिंकारा 161, नील गाय 291, जंगली 20 और 4 भेड़की हैं।

हिरणों के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया
बापूलाल जाटव ने बताया हमारा जिला सौभाग्यशाली है कि इतनी संख्या में काले हिरण यहां मिलते हैं। लेकिन सरकार ने इनके लिए कुछ नहीं किया। इनकी संख्या बढऩे से किसान भी परेशान हैं। मदाना-अय्यापुर पहुंचने पर कुछ ग्रामीण गांव के आेटले पर चौपाल लगाए चुनावी चर्चा करते ही मिले। जिनसे हिरणों के संबंध में पूछताछ की। रामविलास बैरागी बताते हैं, बल्डी क्षेत्रों में हिरण घुमते रहते हैं। जब पानी नहीं मिलता खेतों के ईर्द-गिर्द घूमते हैं। 20 से 40 हिरणों के झुंड एक साथ आते हैं। कई बार सूखे कुएं में गिरने से मौत हो जाती तो कई गाड़ी टकराकर मर जाता है। मांगीलाल सिंह ने कहा था सुना था कि जंगल बनेगा लेकिन सब बाते हैं, किसी ने कुछ नहीं किया। सिद्धूलाल राजपूत, बनेसिंह चावड़ा ने बताया यहां से लेकर कालापीपल तक हिरण के साथ नील गाय, चिंकारा भी दिखते हैं। इनके चक्कर में तेंदूआ भी आ जाते हैं।

हिरणों के लिए अभ्यारण्य, खोखली बातें
जिले में काले हिरणों की संख्याओं को देखते हुए यहां अभ्यारण्य बनाने दावे भी किए गए, लेकिन सारी बाते खोखली ही साबित हुई। अभ्यारण्य का काम लगभग फेल हो चुका है। अभ्यारण्य फेल होने के बाद काले हिरणों के लिए शुजालपुर के आगे जेठड़ा जोड़ के पास 150 हैक्टेयर भूमि आवंटित कराई गई। जो रेवेन्यु की है। यहां तालाब और बडऱ्ी होने से आसपास खेती भी होती है। जिसकी आधी भूमि जंगल के लिए अनुपयोगी है। यहां जंगल बसाने के लिए भेजा गया प्रप्रोजल अधर में अटका हुआ है।

पानी की तलाश में मौत
जिले में वन विभाग के पास दुर्घटनाग्रस्त व अन्य जानवरों द्वारा हमला करने से घायल हिरणों के आंकड़े नहीं है। लेकिन अपै्रल माह में आंकड़े सामने आए थे कि 3 माह में 27 काले हिरणों की दुर्घटना में मौत हो चुकी है। यानी अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रतिवर्ष 60-70 काले हिरणों की सूखे कुए में गिरने, वाहन दुर्घटना, अन्य बड़े जानवर का शिकार होना सहित अन्य कारणों से मौत हो जाती है।

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