जानकारी के अनुसार शुजालपुर तहसील के निवासी रमेशचंद्र सुनेरिया की नियुक्ति ग्राम सहायक के पद पर वर्ष 1993 में कार्यालय संयुक्त संचालक, पंचायत एवं समाज सेवा, उज्जैन संभाग में हुई थी। इसके उपरांत जनवरी 2008 में सुनेरिया पंचायत समन्वयक अधिकारी के पद पर पदोन्नत हुए। वर्ष 2008 में ही 15 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर सुनेरिया द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया गया। इस पर तत्कालीन कलेक्टर शाजापुर द्वारा पेंशन नियम 42 के अंतर्गत मान्य कर लिया गया। इसके बाद बाद सुनेरिया द्वारा कई बार पेंशन की मांग की गई। इस पर जिला पेंशन अधिकारी द्वारा वर्ष 2017 में यह आदेश पारित किया कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए निर्धारित सेवावधि (20 वर्ष) पूर्ण न होने पर पेंशन की पात्रता नहीं आती है।
इससे व्यथित होकर सुनेरिया द्वारा 15 वर्ष बाद वर्ष 2023 में हाई कोर्ट इंदौर में रिट याचिका दायर की गई। इसमें अधिवक्ता द्वारा यह तर्क रखे गए कि पेंशन नियम के अनुसार 20 वर्ष पूर्ण हो जाने पर ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की पात्रता आती है, लेकिन याचिकाकर्ता की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पेंशन के लिए निश्चित अवधि पूर्ण होने के पूर्व ही (15 वर्ष में ही) क्यों मान्य कर ली गई। साथ ही यदि मान्य कर ली गई है तो याचिकाकर्ता को पेंशन के लिए पात्र माना जाए। अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर ने जिला पेंशन अधिकारी के वर्ष 2017 के आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को पेंशन के लिए पात्र माना। साथ ही शासन को 3 माह में निराकरण करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता यश नागर ने पैरवी की।