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बुजुर्ग के आरोपों को अस्पताल ने बताया निराधार
बांधे जाने वाले बुजुर्ग की बेटी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, अस्पताल ने उनसे दो बार रुपयों की मांग की। उन्होंने बताया कि, एक बार रुपये जमा कर दिये थे। इसके बाद एक बार और अस्पताल की ओर पैसे मांगे गए। बेटी ने बताया कि, इस बार हमारे पास पैसे नहीं थे, जिसपर हमने उनसे कहा कि, अब रुपए नहीं हैं, हमें घर जाने दो। इस पर अस्पताल प्रबंधन ने बकाया राशि वसूलने के लिए बुजुर्ग पिता को पलंग से बांध दिया। वहीं दूसरी तरफ, अस्पताल के मैनेजर ने लड़की द्वारा लगाए सभी आरोपों को सिरे से नका दिया, साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि, बिल के कारण मरीज को पलंग से नहीं बांधा गया।
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पांच दिन में अस्पताल ने जमा कराए दो बार रुपये
बता दें कि, सोमवार को पेट में तकलीफ के चलते रानायर गांव के निवासी बुजुर्ग को उसके परिजन शाजापुर जिला अस्पताल लाए थे, जहां बुजुर्ग की हालात ठीक नहीं होने के कारण डॉक्टरों ने रेफर इंदौर या उज्जैन ले जाने की बात कही। हालांकि, परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि, किसी दूसरे शहर जाकर इलाज के साथ रहने खाने का खर्च उठा सकें। इसी के चलते बुजुर्ग की बेटी ने पिता को शाजापुर स्थित सिटी हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। अस्पताल के डॉक्टरों ने पांच दिन तक मरीज का इलाज किया, इस दौरान दो बार बुजुर्ग की बेटी ने इलाज के खर्च के रूप में 6 हजार और 5 हजार रुपये जमा कराए।
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स्थानीय लोगों ने बुजुर्ग को छुड़ाया
शुक्रवार को जब बुजुर्ग की बेटी पैसा नहीं होने का हवाला देकर पिता को घर ले जाने को तैयार हो गई। इस पर अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के खर्च की बकाया रकम का भुगतान करने को कहा। इसपर बुजुर्ग की बेटी ने कहा कि, उनके पास बिल चुकाने के पैसे नहीं हैं। इस पर अस्पताल कर्मियों ने उसके बीमार बुजुर्ग पिता को पकड़कर रस्सियों से पलंग पर ही बांध दिया। शुक्रवार देर रात मामला सामने आने के बाद स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और बुजुर्ग को अस्पताल से छुड़ाया।
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मरीज की बेटी ने लगाए आरोप
बुजुर्ग मरीज की बेटी के मुताबिक, जिस दिन पिता को अस्पताल में भर्ती कराया था तभी प्रबंधन की ओर से छह हजार रुपए जमा कराए गए थे। दो दिन पहले फिर अस्पताल ने पांच हजार रुपए और जमा कराए। शुक्रवार को अस्पताल ने कहा कि, आप बकाया राशि जमा करके घर जा सकचे हैं। इसपर हमने कहा कि, अब हमारे पास रुपए नहीं हैं। आप पिता जी को लगाई पेशाब नली निकाल दें तो घर चले जाएं। इसके बाद हम फाइल लेने गए तो उन्होंने 11270 रुपए और जमा करके मरीज की छुट्टी कराने की बात कही। उन्होंने हमें फाइल भी नहीं दी। इस पर जब हम अस्पताल से जाने लगे तो वे पिता जी को पकड़कर ले गए और पलंग से बांध दिया। उन्होंने बीमार पिता को तीन-चार दिन से ठीक से पानी भी नहीं दिया है। परिजन की माने तो बीते दो दिनों से उन्हें खाना भी नहीं दिया गया।
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प्रबंधन ने दी सफाई
अस्पताल के मालिक डॉक्टर वरुण बजाज का कहना है कि बुजुर्ग को दिमागी बुखार है। उन्हें झटके भी आ रहे थे। उसके छटपटाने से बोतल लगाने के बाद सुई के टूटने का खतरा रहता है। इसलिए रस्सी से बांधा गया था। ऐसे मरीजों को कंट्रोल करने के लिए ऐसा किया जाता है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि, बकाया बिल जमा करने को लेकर अब तक कोई बात ही नहीं हुई है।