स्वामी चिन्मयानन्द की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार ने बहस में कहा कि स्वामी चिन्मयानन्द से ब्लैकमेलिंग की गई है और मांग न माने जाने पर उन्हें दुष्कर्म के फर्जी आरोप में फंसाया गया है। पीड़िता और उसके मित्रों के खिलाफ ब्लैकमेलिंग करने और पांच करोड़ की रंगदारी मांगने के पर्याप्त साक्ष्य हैं। पीड़िता के पिता ने उसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई जबकि वो अपने दोस्तों के साथ खुद ही शाहजहांपुर से चली गई थी। छात्रा ने खुद ही वीडियो वायरल कर चिन्मयानन्द पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। जब उसे सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया गया था तो उसने दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया था। बाद में वकीलों की सलाह पर मनगढ़ंत आरोप लगाए गए।
छात्रा की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र किरण जैन ने जमानत पर बहस करते हुए जमानत का विरोध किया और कहा कि चिन्मयानन्द के अत्याचारों की वीडियो क्लिप वायरल है। इसके पहले भी उन पर एक शिष्या ने दुष्कर्म के आरोप लगाए थे। ऐसे आरोपी को रिहा किया गया तो अपराधियों को बढ़ावा मिलेगा।