दरअसल, मुसरा गांव में रहने वाली 7 साल की मासूम बच्ची इंद्रवती अगरिया के सिर के बाल एक प्रकार के इंफेक्शन से ग्रस्त हैं, जिसके चलते वो रूखे और कड़े होकर नारियल की जटा की तरह दिखाई देते हैं। ऐसे में परिवार के अलावा, बच्ची के रिश्तेदारों समेत पूरे गांव के लोग उस मासूम बच्ची को भगवान शंकर का रूप मानते हैं। यही नहीं, पूरे गांव के इंद्रवती को ‘भोले’ नाम से ही पुकारते हैं। बच्ची अपने मुकुटनुमा इन्हीं जटाओं के साथ स्कूल भी जाती है।
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आंखें मूंदे बैठे हैं जिम्मेदार
हैरानी की बात तो ये है कि, किसी भी तंत्र ने इस गंभीर मामले को जिम्मेदार अफसरों तक पहुंचाने के बारे में नहीं सोचा। हद तो ये है कि, मैदानी अमला भी इंद्रवती को भगवान शंकर का रूप ही मानते हुए भोले-भोले कहने लगा और अंधविश्वास का साक्षी बन बैठा। वहीं, कक्षा 3 में पढ़ने वाली महज 7 साल की मासूम इंद्रवती अगरिया भी नादानी में खुद को भगवान मानती है।
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गांव के लोगों ने कहा- इंद्रवती पर भगवान शंकर की सवारी आती है
इंद्रवती की दादी लीलावती अगरिया बताती हैं कि, हमने कई साल पहले बच्ची का मुंडन कराने की कोशिश की थी। उसके ठीक बाद इंद्रवती के पूरे सिर में बड़े-बड़े फफोले पड़ गए थे। डॉक्टर ने इलाज किया और वो ठीक हो गई। इसके बाद पूरे गांव ने उनसे कहा कि, इंद्रवती पर भगवान शंकर की सवारी आती है। इस कारण उसके बाल अब न कटवाएं। इस कारण हमने दोबारा कभी उसके बाल कटवाने के बारे में नहीं सोचा। घर वालों का ये भी कहना है कि, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से भी कभी बच्ची को बड़े शहर ले जाकर इलाज नहीं करा सके।