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मिलर्स ने खरीदी के समय मिलिंग की थी। इसके बाद उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। दो महीने से मिलिंग ठप है। ऐसे में शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है। इधर इस मामले में प्रशासन और विभागीय अमला गंभीर नहीं है। मिलर्स का कहना है कि धान की गुणवत्ता बेहतर नहीं होने की बजह से चावल अधिक टूट रहा है। ढाई लाख क्विंटल धान की मिलिंग जानकारी के मुताबिक खरीदी के दौरान प्रशासन ने मिलिंग को लेकर गंभीरता दिखाई थी।
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इससे ढाई लाख क्विंटल धान की मिलिंग हो सकी थी। खरीदी समाप्त होने तक जिले में कुल 14 लाख क्विंटल धान की खरीदी की गई। इसमें से जबकि खरीदी समाप्त होने तक जिले में लगभग 14 लाख क्विंटल से ज्यादा धान की खरीदी हुई है। इसमें से ढाई लाख क्विंटल धान खरीदी होने के बाद भी लगभग 11 लाख 50 हजार क्विंटल धान अभी भी मिलिंग के लिए शेष बची हुई है।
60 रुपए प्रति क्विंटल है मिलिंग की दर
जिले में 21 मिलर्स हैं। इन्हें एक क्विंटल धान की मिलिंग के लिए 60 रुपए दिए जाते हैं। मिलर मोहम्मद जकारिया का कहना है कि ये रेट काफी कम हैं। इससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है। मिलर्स इसे 200 रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं। इधर प्रशासन ने मिलिंग के लिए नए सिरे से टेंडर बुलाए हैं।