- सिकलसेल व एनीमिया की जंग में जिला प्रशासन का नया प्रयोग, शिविर लगा कर रहे स्क्रीनिंग
शहडोल. सिकलसेल व एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से समाप्त करने जिला प्रशासन ने नई कवायद शुरू की है। कुपोषित बच्चों के पोषण आहार के बाद भी ग्रोथ न होने पर अब ऐसे बच्चों में सिकलसेल व एनीमिया के लक्षण तलाश रहे हैं। जिला प्रशासन स्क्रीनिंग व मरीजों को चिन्हित कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने प्रयास कर रहा है। सिकलसेल व एनीमिया की जंग में जिला प्रशासन को पूरा फोकस कुपोषित बच्चों पर है। इसके लिए तीन अलग-अलग चरणों में अभियान चलाने कार्ययोजना बनाई गई है। कलेक्टर डॉ केदार सिंह की पहल पर जिले के अलग-अलग केंद्रो में शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिले में कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया गया है। अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव-गांव पहुंच बच्चों की स्क्रीनिंग कर रही है। पिछले दो दिन में 24 जगहों पर शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों में 1500 से ज्यादा बच्चों की स्क्रीनिंग की गई है। स्क्रीनिंग के दौरान कुपोषित बच्चों में भी एनीमिया व सिकलसेल की शिकायत सामने आ रही है। इनमें से गंभीर बच्चों को एनआरसी रेफर किया जा रहा है, वहीं सामान्य लक्षण वालों को दवाइयां दे रहे हैं।
दो दिन में 41 बच्चे एनआरसी रेफर
प्रशासनिक अधिकारियों व स्वास्थ्य विभाग की टीम जिले के 24 आंगनबाड़ी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो में शिविर लगाकर बच्चों की स्क्रीनिंग कर रही है। शिविर के पहले दिन 686 और दूसरे दिन 889 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। स्क्रीनिंग के दौरान पहले दिन 20 बच्चे एनीमिक व 7 बच्चे गंभीर स्थिति में पाए गए, जिनमें से 21 बच्चों को एनआरसी सेंटर रेफर किया गया। वहीं स्क्रीनिंग के बाद 149 बच्चों को दवाइयां उपलब्ध कराई गई है। इसी प्रकार दूसरे दिन के शिविर में 12 बच्चे एनीमिक व 12 जटिल व 2 बच्चे पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें से 20 बच्चों को एनआरसी रेफर किया गया, वहीं 141 बच्चों को दवाइयां उपलब्ध कराई गई।
जिले भर में चलाया जाएगा अभियान
सिकलसेल व एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से लडऩे के लिए इसकी पहचान आवश्यक है। इसके लिए जिले भर में तीन चरण में अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए चिकित्सक, डाइटीशियन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम चिन्हित की जा रही है। पहले चरण में जिले में चिन्हित कुपोषित बच्चों में सिकलसेल व एनीमिया जैसी बीमारी तो नहीं है इसकी पहचान के लिए शिविर लगाकर स्क्रीनिंग की जा रही है। दूसरे चरण में 15 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग कर इन बीमारियों का पता लगाया जाएगा। इसके बाद इनके परिजनो की भी सिकलसेल व एनीमिया की जांच होगी।
खान-पान व समुचित पोषण का अभाव प्रमुख कारण
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से यहां कुपोषण के साथ ही सिकलसेल व एनीमिया जैसी गंभीर बीमारियों ने पैर फैला रखे हैं। इन बीमारियों की प्रमुख वजह खान-पान व समुचित पोषण आहार की कमी को माना जा रहा है। एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी के चपेट में प्रसूताओं की मौत हो जा रही है। जन्म से ही बच्चे कुपोषण जैसी गंभीर बीमारी का दंश झेल रहे हैं। इससे लडऩे के लिए अब तक जो प्रयास हुए हैं वह नाकाफी साबित हो रहे हैं। लोगों में जागरुकता के अभाव के चलते अभी भी खान पान व समुचित पोषण की पूर्ति नहीं हो पा रही है।
डॉ केदार सिंह, कलेक्टर शहडोल