शनि ग्रह का महत्व
ग्रह के रूप में शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है इसीलिए इसे एक राशि का भ्रमण करने में ढाई वर्ष का समय लगता है। और सभी 12 राशियों में भ्रमण के लिए 30 वर्ष का शनिदेव को खुश करना बहुत कठिन है लेकिन अगर सच्चे मन से शनिदेव की आराधना और पूजा पाठ की जाए तो इनको मानना बहुत आसान है। शनिदेव के शुभ प्रभाव से जीवन में दु:ख नहीं बल्कि खुशियां आती है।
शनि देव को खुश कैसे करें?
अगर व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से परेशान है तो उन्हें विधिवत तरीके से शनिदेव का पूजन करना होगा। शनिदेव के पूजन में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है यहाँ हम उसी के बारे में बता रहे हैं। लेकिन उससे पूर्व शनिदेव की पूजा करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में जानना होगा।
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए इस दिन पीपल में तेल का दीया अवश्य जलाना चाहिए।
शनि देव को सरसों का तेल बेहद प्रिय है इसीलिए इस दिन शनिदेव की मूर्ति पर सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।
इस दिन तेल व् काले तिल का दान करना बहुत अच्छा माना जाता है।
शनिवार के दिन काला तिल और गुड़ चींटियों को खिलाना चाहिए। इस दिन चमड़े के जुटे या चप्पल दान करना भी शुभ माना जाता है।
शनिदेव की मूर्ति के सामने कभी खड़ा नहीं होना चाहिए। पूजा करने के लिए ऐसे मंदिर में जाएं जहां शनि शिला के रूप में विराजमान हो। इस दिन सात्विक भोजन खाना चाहिए।
इस दिन पीपल व् शमी के वृक्ष का पूजन करना चाहिए।
शनिवार के दिन दान धर्म का खास महत्व होता है। इसलिए इस दिन दान करना चाहिए। और गरीबों की मदद करनी चाहिए।
शनिदेव के मंत्र
शनि के लिए वैदिक मंत्र
“ऊँ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये । शं योरभि स्रवन्तु न
शनि के प्रकोप से बचने के उपाय
शनिदेव का प्रकोप व्यक्ति को कई तरह से झेलना पड़ता है। किसी को साढ़ेसाती के रूप में तो किसी को वक्र दृष्टि के रूप में। लेकिन कुछ विशेष उपाय है जिनकी मदद से इन सभी प्रकोप से बचा जा सकता है। ये उपाय निम्नलिखित हैं –
हनुमान चालीसा का पाठ करें
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। अगर आप शनि की वक्र दृष्टि, साढ़ेसाती या ढैय्या से परेशान है तो हनुमान चालीसा आपके लिए बहुत सही सरल और अचूक उपाय है।
शनि मंत्र का जाप करें
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इसे शनि देव का बीज मन्त्र भी कहा जाता है। कहते है 40 दिनों में 19,000 बार जप करने से साढ़ेसाती में लाभ मिलता है। मन्त्र प्राँ प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
तिल, तेल और छायापात्र का दान करें
माना जाता है शनिदेव को तिल, तेल और छायापात्र अत्यंत प्रिय होते है। इसलिए शनिवार के दिन इन तीनों चीजों का दान करना चाहिए। कहते है दान करने से शनिदेव से मिलने वाले कष्टों से निजात दिलाता है। छायापात्र दान की विधि बहुत आसान है। इसके लिए मिटटी के किसी बर्तन में सरसों का तेल डालें और उसमे अपनी छाया देखकर उसे दान कर दें। यह दान आपके ऊपर आने वाले दुखों को कम करने में मदद करेगा।
शनिवार को पीपल की पूजा करें
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। माना जाता है हर शनिवार पीपल या शमी के वृक्ष में सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते है। ऐसा करने से आपके कष्ट कम हो जाते है।
काले वस्त्र का दान करें
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए दान बहुत अच्छा माना जाता है। खासकर काली वस्तुओं का। इसीलिए अगर आप भी शनिदेव के किसी दंड को भोग रहे है तो काली वस्तुओं का दान करना शुरू कर दें। इसमें आप काले कपडे, काले तिल, काली उड़द और सरसों का तेल आदि को सम्मिलित कर सकते है। अगर आपकी सामथ्र्य है तो इस दिन लोहा भी दान करे। शनि देव इससे बहुत प्रसन्न होते है।
शनि के प्रकोप से बचने के लिए क्या करें?
अगर व्यक्ति निम्न बातों का ध्यान रखे तो भी शनि की साढ़ेसाती और उनके प्रकोप से बच सकते हैं।
शराब तथा किसी भी तरह के दुसरे नशों से दूर रहे।
किसी परस्त्री के साथ रिश्ता न बनायें।
किसी भी व्यक्ति का दिल न दुखाएं।
महिलाओं का आदर करें।
सुबह जल्दी जागकर भगवान की आराधना करें।
परिवार में सभी का सम्मान करें। बड़ों का आदर करें।
भैरव जी की उपासना करें।
शनिवार को संध्या के समय काले तिल के तेल या सरसों के तेल का पीपल और शनिदेव के मंदिर में दीपक जलाएं।
किसी भी धार्मिक कार्य में इंधन या जरुरी सामग्री आदि दान करने से भी शनि दोष के बुरे प्रभाव कम हो जाते है।
शनि मंदिर में चिमटा, चमड़े की जूतियाँ आदि का दान करना भी अच्छा माना जाता है।