जिला प्रबंधक कृषि अदिति राजपूत ने बताया कि जिले में मशरूम उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, इसलिए मशरूम उत्पादन क्षेत्र का कार्य आजीविका मिशन के माध्यम से शुरू किया गया है। उन्होने बताया कि कि मशरूम की लगभग 3000 से ज्यादा प्रजातियां विश्व में पाई जाती है, जो खाने योग्य है, इसमें से 250 प्रजातियां भारत वर्ष में मिलती है लेकिन 8-10 किस्मों को ही व्यावसायिक रूप से उगाया जाता है। इनमें प्रमुख है, आयस्टर मशरूम यानी की पिहरी आयस्टर मशरूम ही खाने योग्य, पूर्णत: शाकाहारी फ फूंद हैं इसमें पौष्टिक एवं औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
वन विभाग करेगा ईको कैम्पों का आयोजन
शहडोल. स्कूली विद्यार्थियों में वन, वन्यप्राणी एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने के लिए वन विभाग द्वारा संभाग के सभी वन मण्डलों में इको कैंप का आयोजन किया जाएगा। सीसीएफ प्रशांत जाधव ने बताया कि उक्त कार्यक्रम परिक्षेत्र स्तर पर 15 दिसम्बर से 15 जनवरी की अवधि में अनुभूति कार्यक्रम के तहत आयोजित होगा। सीसीएफ ने बताया कि इस वर्ष क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्रीय उद्यान, बफर क्षेत्र, अभ्यारण्य के परिक्षेत्रो में भी अनुभूति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। उन्होने बताया कि प्रत्येक परिक्षेत्र स्तर पर 225 विद्यार्थियों को संसाधनों
की उपलब्धतानुसार दो या दो से अधिक ईको कैम्प आयोजित कर ईको पर्यटन कैम्प में प्रकृति
ज्ञान आधारित परीक्षा के माध्यम से तीन उत्कृष्ट विद्यार्थियों का चयन कर उन्हें सम्मानित किया जाएगा। कैम्प में भाग लेने वाले
सभी विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे।
कैम्प में प्राथमिक चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था भी की जाएगी। उन्होने बताया कि उन विद्यार्थियों को ही ईकों कैम्प में सम्मिलित किया जाएगा जो पूर्व में सम्मिलित नहीं हो पाए हैं। प्रत्येक वन वृत्त में मास्टर ट्रेनर्स का चयन किया जाएगा, जो प्रशिक्षण प्राप्त कर परिक्षेत्र स्तर पर अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन करेंगें।