शाहडोल

FATHER,S DAY: पिता की मौत के बाद खेलने की उम्र में खाकी वर्दी के साथ बड़ी जिम्मेदारी

बच्चों के बड़े इरादों के आगे चुनौतियोंं ने भी हार मान लिया

शाहडोलJun 16, 2019 / 12:25 pm

amaresh singh

FATHER,S DAY: पिता की मौत के बाद खेलने की उम्र में खाकी वर्दी के साथ बड़ी जिम्मेदारी

शहडोल। खेलने की उम्र में खाकी वर्दी के साथ नन्हे कंधों में बड़ी जिम्मेदारी है। पिता के सपनों को बचपन से ही मासूम आंखों में देश सेवा के बड़े सपने पल रहे हंै। कुदरत ने बचपन में ऐसी चोट दी कि छोटे कंधों पर जिम्मेदारियों का बड़ा बोझ आ गया। बच्चों के बड़े इरादों के आगे चुनौतियोंं ने भी हार मान लिया। पुलिस रेंज शहडोल के चार जिलों में 19 बाल आरक्षक अब सेवाएं दे रहे हैं। ये सभी 7 से 18 साल के भीतर हैं। पिता के सपनों को साकार करने देश सेवा के सपने लिए ये बाल आरक्षक पढ़ाई के साथ ड्यूटी भी कर रहे हैं। बाल आरक्षकों का कहना है कि बचपन से ही दिशा तय हो गई है। परिवार की जिम्मेदारी के साथ समाज की जिम्मेदारी मिल गई है। ये बोझ नहीं बल्कि हमारे और परिवार के लिए गर्व की बात है।

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पढ़ाई के साथ सीख रहे पुलिस के कामकाज और इन्वेटिगेशन
शहडोल, उमरिया, अनूपपुर और डिंडौरी में पदस्थ बाल आरक्षक पढ़ाई भी कर रहे हैं। विभाग इन्हे पढ़ाई के लिए अलग- अलग सुविधाएं भी दे रखा है। ये बाल आरक्षक कुछ घण्टे पुलिस के कामकाज और इन्वेटिगेशन भी सीखने में गुजार रहे हैं। पुलिस लाइन के अलावा एसपी कार्यालय, आईजी कार्यालय और अन्य दफ्तरों में इन बाल आरक्षकों को पदस्थ किया गया है। हर दिन पढ़ाई के साथ ड्यूटी का कर्तव्य भी निभा रहे हैं।

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कोई बनना चाहता है एसपी तो किसी को आर्मी का जुनून
बाल आरक्षकों की मानें तो इनमें कोई एसपी बनना चाहता है तो किसी में अभी से देश सेवा के बड़े सपने पल रहे हैं। कई बाल आरक्षक आर्मी में भी सेवाएं देना चाहते हैं। बाल आरक्षकों का कहना है कि, पिता ने कई बड़े सपने देख रखे थे। अब उनके ही सपनों को पूरा करने के लिए खाकी से भी लगाव हो गया है। इन बाल आरक्षकों में कोई पहली कक्षा में है तो कोई पांचवी कक्षा की पढ़ाई कर रहा है।

7 साल की उम्र में छूटा पिता का साथ, 20 दिन पहले भर्ती
हाल ही में शहडोल में बाल आरक्षक के तौर पर अंतेश्वर सिंह की अनुकंपा नियुक्ति हुई है। अंतेश्वर की उम्र महज सात साल है। अभी से वर्दी और बंदूक का जुनून है। पिता एएसआई शैलेन्द्र सिंह की 5 सितंबर 2018 को मौत हो गई थी। इसके बाद इनके बेटे अंतेश्वर ने पिता के सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी ली। 20 दिन पहले ही शहडोल पुलिस में ज्वाइनिंग हुई है। वे कहते हैं बड़ा होकर पुलिस अफसर बनूंगा।

खेलने की उम्र में समाज की बड़ी जिम्मेदारी
शहडोल में बाल अरक्षक के तौर पर दिव्यनाथ परस्ते की नियुक्ति की गई है। कम उम्र में ही पिता का साया हट गया। परिवार में भी कई चुनौतियां आई लेकिन हार नहीं मानी। दिव्यनाथ परस्ते अभी से परिवार और पिता के सपनों को पूरा करने के लिए जुट गए हैं। पढ़ाई के साथ वे अपनी ड्यूटी भी बखूबी से निभा रहे हंै। पुलिस के कामकाज और इन्वेटीगेशन से भी परिचित हो रहे हैं। उन्हे भी पुलिस विभाग मे अफसर बनना है।

9 साल की उम्र में वर्दी का जुनून
9 साल की उम्र में सपन सिंह को वर्दी का जूनुन है। महज 9 साल की उम्र में सपन को कई बड़े सपने हैं। कम उम्र में ही पिता का साया उठ गया लेकिन हिम्मत अभी भी बरकरार है। 2009 में जन्मे सपन सिंह शहडोल में बाल आरक्षक के तौर पर पिछले दो साल से पदस्थ रहे हैं। ड्यूटी के साथ पढाई भी करते हैं।


रेंज में पदस्थ बाल आरक्षक
शहडोल -पांच
अनूपपुर -पांच
उमरिया -चार
डिंडौरी -पांच


पढ़ाई के साथ सिखा रहे हैं बारिकियां
पुलिस रेंज में 19 बाल आरक्षक सेवाएं दे रहे हैं। अभी इनकी पढ़ाई महत्वपूर्ण है। हम पढ़ाई के साथ पुलिस की बारिकियां सिखा रहे हैं। हर परिस्थितियों में पुलिस इनके और परिवार के साथ है।
एसपी सिंह, आईजी शहडोल

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