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शाहडोल

जंगल में चारों तरफ पड़ी मिली हाथियों की लाशें, 8 गंभीर हालत में बेहोश मिले, दंग रह गई जांच टीम, Video

Bandhavgarh National Park : बांधवगढ़ क्षेत्र में 7 जंगली हाथियों की मौत। गंभीर हालत में बेहोश पड़े मिले कई हाथी। खतौली और पतौर रेंज की सीमा से लगे सलखनिया बीट की घटना। मौके पर पहुंचा पार्क प्रबंधन, झुंड के 5 अन्य हाथियों की निगरानी बढ़ाई गई।

शाहडोलOct 30, 2024 / 11:12 am

Faiz

Bandhavgarh National Park
Bandhavgarh National Park : मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के अंतर्गत आने वाले बांधवगढ़ नेशनल पार्क में मंगलवार को 4 जंगली हाथियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का आंकड़ा बुधवार को और बढ़ गया है। घटना में गंभीर बताए जा रहे अन्य 8 हाथियों में से 3 और हाथियों ने दम तोड़ दिया है। अन्कीय 4 हाथियों की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे पार्क प्रबंधन ने बेहोशी हालत में मिले हाथियों का आनन-फानन में इलाज शुरू कराया था, जबकि झुंड में शामिल अन्य हाथियों की निगरानी बढ़ाई गई है। हाथियों की मौत का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है।
घटना बांधवगढ़ नेशनल पार्क के खेतौली और पतौर रेंज से लगे सलखनिया बीट के चरकवाह की बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि, घटना स्थल के आस-पास गांव की सीमा लगी हुई है, जहां किसानों के खेत हैं। फसल को कीटों से बचाने के लिए किसान कीटनाशक दवा का छिड़काव करते हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कीटनाशक युक्त फसल खाने से हाथियों की मौत हुई है। पार्क प्रबंधन ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच शुरू कर दी है। चरकवाह में 4 जंगली हाथी मृत अवस्था में मिले हैं, वहीं 7 की हालत गंभीर थी। हालांकि, इन्हीं में से अबतक 3 हाथियों की मौत की और जानकारी सामने आई है। घटना के बाद पार्क प्रबंधन ने झुंड में शामिल 5 अन्य हाथियों की निगरानी बढ़ा दी है।

छत्तीसगढ़ के हाथियों ने यहां बनाया स्थायी रहवास

लगभग 5 साल पहले छत्तीसगढ़ की सीमा से जंगली हाथियों का झुंड बांधवगढ़ पहुंचा था। हाथियों के इस झुंड ने अब बांधवगढ़ को अपना स्थायी रहवास बना लिया है। इनकी संख्या अब बढकऱ 60 से अधिक हो चुकी है। ये जंगली हाथी अलग-अलग झुंड बनाकर पार्क के बफर और कोर एरिया में विचरण करते हैं। इन्ही में से एक झुंड का मूवमेंट सलखनिया बीट में बना हुआ था।
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एक हाथी स्वस्थ, रेंजर को भी खदेड़ा

बताया जा रहा है कि, 13 लोगों में एक हाथी स्वस्थ है। वन विभाग की टीम नजदीक पहुंची तो हाथी ने पनपथा रेंजर को भी खदेड़ दिया। इस दौरान पनपथा रेंजर के पैर में चोट आई है।
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क्या कहते हैं जानकार?

वन्यजीव एक्सपर्ट नितिन सांघवी का कहना है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत अत्यंत दु:खद घटना है। बताया जा रहा है कि किसानों ने माहू रोग से बचाव के लिए फसल में कीटनाशक छिड़काव किया था, उसे खाने से हाथियों की मौत हुई है। ये गलत है, माहू रोग में जो कीटनाशक डाला जाता है, बहुत ही डाइल्यूटेड रहता है। एक लीटर में एक मिली लीटर या उससे कम कीटनाशक डाला जाता, इससे मौत नहीं हो सकती। जो दवाई डाली जाती है, उसे नीट पीने से मौत होती है। ये हाथियों को जहर देने का मामला स्पष्ट प्रतीत होता है।
हाथी को मध्य प्रदेश की कोई समझ नहीं है और हाथी का घनघोर विरोधी है। एक जनहित याचिका में केरल से हाथियों के मैनेजमेंट के लिए विशेषज्ञ बुलाने की मांग करने पर मध्य प्रदेश वन विभाग ने भरपूर विरोध किया और कहा कि हम एक्सपर्ट हैं। मध्य प्रदेश वन विभाग ने उच्च न्यायालय में स्वीकार किया है कि छत्तीसगढ़ से जो भी हाथी मध्य प्रदेश में आता है, उसे वे टाइगर रिजर्व में ट्रेनिंग देने के लिए पकड़ लेते हैं। हाथियों की मौत मामले में बांधवगढ़ की पूरी टीम पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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